राजसमंद

सावधान! साहब मिड डे मील का निरीक्षण करने आ रहे इस दिन… अधिकारियों से पहले स्कूलों में पहुंच गई सूचना

स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने सभी जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर योजनाओं का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया था। इसके बाद यह पत्र तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

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Sep 18, 2025
File Photo- Patrika

राजसमंद/आईडाणा। राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम पोषण (मिड-डे-मील) और पन्नाधाय बाल गोपाल दूध योजना की हकीकत जानने के लिए शिक्षा विभाग ने 24 और 25 सितम्बर को प्रदेशभर में औचक निरीक्षण का एलान किया है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 'औचक' कहे जाने वाले इस निरीक्षण की सूचना पहले ही सोशल मीडिया के जरिए विद्यालयों तक पहुंच गई है। अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि जब निरीक्षण का मकसद जमीनी सच्चाई जानना था तो विभाग ने तारीखें उजागर क्यों कर दीं?

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विशेष जांच पर फोकस

आयुक्त कार्यालय से जारी निर्देशों के अनुसार, निरीक्षण के दौरान मध्यान्ह भोजन और दूध की गुणवत्ता, पोषण मानक, पर्यवेक्षण व्यवस्था और बच्चों तक योजनाओं की वास्तविक पहुंच की गहन जांच की जाएगी। जैसे ही आदेश की सूचना वायरल हुई, स्कूलों ने भोजन और दूध वितरण व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद शुरू कर दी।

विशेष दलों का गठन

निरीक्षण के लिए हर जिले में विशेष दल बनाए जा रहे हैं। जिला कलक्टरों को आदेश दिए गए हैं कि वे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को औचक निरीक्षण में सहयोग और समन्वय उपलब्ध कराएँ। ये दल जिले की कम से कम 20 प्रतिशत स्कूलों का रेंडम चयन कर निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगे।

आदेश और वायरल सूचना

15 सितम्बर को स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने सभी जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर योजनाओं का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया था। इसके बाद यह पत्र तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। परिणामस्वरूप औचक निरीक्षण की गोपनीयता पूरी तरह भंग हो गई और अब स्कूलों को पहले से तैयारी का भरपूर मौका मिल चुका है।

निरीक्षण या खानापूर्ति?

शिक्षा विभाग का मूल उद्देश्य योजनाओं की सच्चाई जानना था। लेकिन अब तय तारीख पर निरीक्षण होने से यह आशंका गहराती जा रही है कि दो दिन के लिए भोजन और दूध की गुणवत्ता में सुधार कर ली जाएगी और निरीक्षण की रिपोर्ट केवल "खानापूर्ति" बनकर रह जाएगी।

औचित्य पर उठे सवाल

  • स्कूलों में पहले से सूचना देकर निरीक्षण कराने का क्या औचित्य है?
  • क्या विभाग वाकई बच्चों तक योजनाओं की सच्चाई पहुंचाना चाहता है?
  • या फिर सब कुछ 'कागज़ी कार्रवाई' तक सीमित रह जाएगा?
  • अधिकारियों के मुताबिक समय-समय पर प्रशासन और शिक्षा विभाग द्वारा अचानक निरीक्षण किया भी जाता है, लेकिन इस बार तारीखें पहले से उजागर होने से पूरी कवायद संदेह के घेरे में आ गई है।

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Updated on:
18 Sept 2025 05:01 pm
Published on:
18 Sept 2025 05:00 pm
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