राजसमंद जिले के नौ-चोकी मार्ग पर स्थित है श्री मंशापूर्ण महागणति मंदिर। यहां पर भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के कारण इसे मंशापूर्ण महागणपति के नाम से पुकारा जाता है। यहां पर गणेशजी की प्रतिमा अद्भुत है।
राजसमंद. प्रथम पूज्य आराध्य देव भगवान गणेशजी का राजसमन्द जिला मुख्यालय पर श्री मंशापूर्ण महागणपति का प्राचीन मंदिर अपने आप में विशिष्ट है। मंदिर में विराजित भगवान गणेश की विशाल पाषाण की प्रतिमा दुर्लभ ही देखने को मिलती है। जिला मुख्यालय पर नौ-चोकी मार्ग पर स्थित श्री मंशापूर्ण महागणति मंदिर में एक ही पाषाण की शिला पर चतुर्भुजधारी भगवान गणेशजी के साथ रिद्धि-सिद्ध, शुभ-लाभ, गले में सर्प स्वरूप यज्ञोपवित्र व मूशक की सवारी है। भगवान गणेश का दाहिना पाव आगे की ओर निकला हुआ है। जो सदैव भक्तों के कार्य सिद्धी व मनोकामना पूर्ण करने का संकेत है। चतुर्भुज धारी वरहद हस्त से भक्तो को आशीर्वाद दे रहे है। दूसरे हाथ में लडडू, तीसेर में फरसा व चौथे में अंकुश है। सभी विशेषताएं गणेश की प्रतिमा में मौजूद है। भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्तों की मनोकामनाए पूर्ण होती है यही कारण है कि यह मंदिर मंशापूर्ण गणपति के नाम से प्रसिद्ध है।
गणेश चतुर्थी पर मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में पंाच दिवसीय गणेश महोत्सव का आगाज शनिवार को होगा। महोत्सव के पहले दिन महागणपति को विशेष फूलो से श्रृंगारित किया जाएगा। मंदिर के पूजारी पंडित गोपाल श्रोत्रिय ने बताया कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह के समय दूध, दही, घी, शहद, शरकरा व पंचामृत से स्नान कराया जाएगा। उसके बाद गणेश अथर्वशीर्ष व गणेश सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठ सहित वेदिक मंत्रोचार के साथ अभिषेक को पूरा कर मध्यान्ह के समय आरती की जाएगी। संध्या के समय कमल के फूलों से विशेष श्रृंगार कर महागणपति की महाआरती की जाएगी व लडडू प्रसाद का भोग लगाकर वितरित किया जाएगा। गणेश चतुर्थी से पांच दिनों तक मंदिर में अलग अलग फूलों से श्रृंगार कर झांकिया सजाई जाएगी, मंदिर में दर्शन व्यवस्था कतारबद्ध तरीके से रहेगी।