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Indira Ekadashi Vrat 2025 Katha : इस इंदिरा एकादशी पर 4 शुभ योग, जानें पूजा विधि, कथा और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय

Indira Ekadashi 2025 Date : Indira Ekadashi Vrat 2025 17 सितंबर को है। जानें व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, पारण समय और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय।

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Sep 16, 2025
Indira Ekadashi Vrat 2025 Katha : इस इंदिरा एकादशी पर 4 शुभ योग, जानें पूजा विधि, कथा और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Indira Ekadashi Vrat 2025 Katha : इंदिरा एकादशी व्रत 17 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष इंदिरा एकादशी पर चार शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन परिघ योग और शिव योग के साथ-साथ पुनर्वसु तथा पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व रहेगा।

पितृ पक्ष में आने वाली आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ही इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान विष्णु के ऋषिकेष स्वरूप की पूजा-अर्चना करते हैं और इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Katha) का श्रवण करते हैं।

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ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका उद्धार होता है। साथ ही, व्रत रखने वाले भक्त को जीवन के अंत में स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी की व्रत कथा, शुभ मुहूर्त और पारण का समय।

क्या आप जानते हैं कि यह एकादशी इतनी खास क्यों है?

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi Vrat) का व्रत करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद आत्मा को उच्च लोक में स्थान मिलता है। यही नहीं पद्म पुराण में तो यह भी कहा गया है कि इसका पुण्य कन्यादान और हजारों सालों की तपस्या से भी ज्यादा होता है! तो आइए जानते हैं, इस पवित्र व्रत की कथा और इसे करने का सही तरीका।

राजा इंद्रसेन की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नगरी में एक धर्मात्मा राजा इंद्रसेन राज करते थे। एक दिन उनके दरबार में देवर्षि नारद जी प्रकट हुए। नारद जी ने बताया कि वे यमलोक से आ रहे हैं, जहां उन्होंने राजा के पिता को देखा। उन्होंने बताया कि राजा के पिता ने एकादशी का व्रत खंडित कर दिया था, जिसके कारण उन्हें यमलोक में रहना पड़ रहा है।

नारद जी ने राजा को सुझाव दिया कि अगर वे विधि-विधान से इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का व्रत करें तो उनके पिता को यमलोक से मुक्ति मिल जाएगी और उन्हें स्वर्ग प्राप्त होगा। यह सुनकर राजा इंद्रसेन ने तुरंत नारद जी से व्रत की विधि पूछी।

नारद जी ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह स्नान करके अपने पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करें। भगवान शालिग्राम की स्थापना करके उनकी पूजा करें। रात में जागरण करें। अगले दिन यानी द्वादशी को फिर से पूजा-पाठ करके दान करें और फिर पारण करके व्रत पूरा करें।

राजा ने नारद जी के बताए अनुसार पूरे विधि-विधान से व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनके पिता को तुरंत यमलोक से मुक्ति मिली और वे स्वर्ग चले गए। इस तरह यह व्रत पितरों के उद्धार का एक अद्भुत माध्यम बन गया।

इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Indira Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा।

एकादशी तिथि का आरंभ: 17 सितंबर, सुबह 12:21 बजे से

एकादशी तिथि का समापन: 17 सितंबर, रात 11:39 बजे तक

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:07 बजे से 9:11 बजे तक

पारण का समय: 18 सितंबर, सुबह 6:07 बजे से 8:34 बजे तक

पूजा विधि:

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप का ध्यान करते हुए उनकी पूजा करें।

उन्हें अक्षत, फूल, फल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

दिन भर फलाहार पर रहें और रात में जागरण करें।

अगले दिन द्वादशी को स्नान के बाद पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

शुभ मुहूर्त में पारण करके व्रत पूरा करें।

पितरों को प्रसन्न करने के कुछ खास उपाय

इंदिरा एकादशी पर आप कुछ आसान उपाय करके अपने पितरों को और भी प्रसन्न कर सकते हैं:

दीपक जलाएं: घर की दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। यह पितरों को सुख-शांति देता है।

काले तिल का दान: काले कपड़े में काले तिल और दाल रखकर गाय को खिलाएं। इससे पितृ तृप्त होते हैं।

पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करें। पीपल में पितरों का वास माना जाता है।

मंत्र जाप: 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

दान: जरूरतमंदों को घी, दूध, दही और चावल का दान करें। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

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Published on:
16 Sept 2025 04:07 pm
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