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Govardhan Puja 2025: नोट करें गोवर्धन पूजा कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और इस पर्व का पौराणिक महत्व

Govardhan Puja 2025 Date: गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण की लीला और इंद्र देव के घमंड को तोड़ने की कथा से जुड़ी हुई है। जानिए, गोवर्धन पूजा कब है और क्या है इसका सुबह का शुभ मुहूर्त।

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Oct 15, 2025
Govardhan Puja 2025 shubh muhurat|फोटो सोर्स – Freepik

Govardhan Puja 2025 Date: दीपावली के ठीक अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीला और इंद्र देव के घमंड को तोड़ने की कथा से जुड़ा हुआ है। इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा करते हैं और अन्नकूट का आयोजन कर भगवान को विभिन्न व्यंजन अर्पित करते हैं।वर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त क्या है, और इस पर्व के पीछे की पौराणिक कथा क्या कहती है आइए जानते हैं इस लेख में विस्तार से।

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गोवर्धन पूजा की तारीख और समय


इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे से होगी और यह तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे तक चलेगी। चूंकि हिन्दू धर्म में सूर्योदय की तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2025 Muhura)


पहला सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक और दूसरा दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक। इन दोनों में से किसी भी समय पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 4:45 AM से 5:35 AM तक रहेगा, जो ध्यान और जप के लिए उपयुक्त है। हालांकि, इस दिन अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं रहेगा।

योग और नक्षत्र की विशेषता

  • इस वर्ष गोवर्धन पूजा प्रीति योग और स्वाति नक्षत्र में हो रही है।
  • प्रीति योग: 22 अक्टूबर की सुबह से लेकर 23 अक्टूबर को तड़के 4:06 AM तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग प्रारंभ होगा।
  • स्वाति नक्षत्र: सुबह से शुरू होकर देर रात 1:52 AM तक रहेगा, इसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू हो जाएगा।

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व (Govardhan Puja significance in Hindi)


गोवर्धन पूजा का इतिहास श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का संदेश दिया। जब लोगों ने कृष्ण की बात मानकर इंद्र की पूजा बंद कर दी, तो इंद्रदेव को क्रोध आया और उन्होंने भारी वर्षा भेज दी।

इस संकट से लोगों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को उठा लिया, जिससे पूरे गांव को आश्रय मिला। अंत में इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। तभी से हर साल गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है।इस दिन अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें अनेक प्रकार के पकवान बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं।

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Published on:
15 Oct 2025 11:00 am
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