धर्म और अध्यात्म

Office Politics Mantra: ऑफिस पॉलिटिक्स से बचने के लिए अपनाएं गीता के ये 5 मंत्र

Office Politics Mantra: ऑफिस पॉलिटिक्स से परेशान हैं? तो जरूर जानें भगवद् गीता के ये 5 मूल मंत्र जो आपको शांत, मजबूत और फोकस्ड बनाकर करियर में आगे बढ़ने में मदद करेंगे।

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Nov 15, 2025
Office Politics Mantra (Image: Freepik)

Office Politics Mantra: क्या आपको लगता है कि ऑफिस पॉलिटिक्स के कारण आपकी तरक्की नहीं हो रही है। आपको हमेशा ये डर सताता कि आपकी नौकरी चली न जाए, या आप दूसरी बातों को लेकर पॉलिटिक्स से बहुत परेशान हैं। तो ये लेख आप जरूर पढ़ें। यहां इससे बचने के लिए भगवद् गीता के 5 मूल मंत्र दिए गए हैं जो आपके लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। आइएं जानें इन 5 मंत्र को।

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भगवद् गीता ही क्यों?

माना जाता है कि भगवद् गीता में हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन है। भारत में हिंदू धर्म का पालन करने वालों का यह मानना है कि ये बिल्कुल सही बात है। गीता में लिखी बातें मुश्किल समय में इंसान को शांत (Calm) , एकाग्र (Concentrate) और धार्मिक (Righteous) बने रहने में मदद करती है।

1. अध्याय 2, श्लोक 47

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

इसका मतलब है कि - आपको बस अपना काम ईमानदारी से करना है । उसके फल (Outcome) की चिंता नहीं करनी है। क्योंकि आपके हाथों में नहीं है कि उसका नतीजा क्या आएगा। इसलिए आपको उस पर ध्यान और वक्त दोनों ही नहीं देना चाहिए।

2. अध्याय 2, श्लोक 15

यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।
समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते।।

इसका मतलब है कि - आगे क्या होगा, मेरे जीवन में खुशी लिखी है या दुःख, यह सबकी चिंता करने वाले इंसान कमजोर होते हैं। इसलिए अगर आपको मजबूत इंसान बनना है तो आपको ये सोचना बंद करना होगा की आगे क्या होगा। ऐसा करने से आप हर मुश्किल का आसानी से सामना कर सकते हैं।

3. अध्याय 2, श्लोक 48

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

इसका मतलब है कि - आपको अपना काम करते वक्त हमेशा शांत मन रखना है। अगर सक्सेस मिलती है तो ज्यादा खुश नहीं होना है और न ही बहुत दुखी होना जब सक्सेस नहीं मिलेगी। अगर हमेशा इस बैलेंस बनाकर चलेंगे तो आपके जीवन में सब अच्छा ही होगा।

4. अध्याय 6, श्लोक 6

बन्धुरात्माऽऽत्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्।।

इसका मतलब है कि - आपका सबसे अच्छा दोस्त और सबसे मुश्किल दुश्मन एक ही है, वह है आपका मन। जो इंसान अपने मन पर कंट्रोल कर लेता है वो अपनी लाइफ का कंट्रोल अपने हाथों में कर लेता है।

5. अध्याय 6, श्लोक 19

यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता।
योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मनः।।

इसका मतलब है कि - शांत मन और अच्छे से ध्यान करने के लिए मन को बस स्थिर करना होगा। इसलिए मन को खाली रखना जरूरी है कि आपका मन शांत रह सके।

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Updated on:
15 Nov 2025 02:00 pm
Published on:
15 Nov 2025 01:03 pm
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