रीवा

बेसुध ब्लास्टिंग! घर के अंदर हेलमेट पहनने को मजबूर लोग, सिर पर गिर रहे पत्थर

MP News: मध्य प्रदेश के रीवा के एक गांव लगातार हो रही ब्लास्टिंग से ग्रामीणों का जीवन दहशत में है। हर धमाके के साथ घरों की दीवारें दरक रही हैं, धूल में दम घुट रहा है और लोग पलायन को मजबूर हैं।

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Oct 05, 2025
stone mines blasting shankarpur village wearing helmet (फोटो- सोशल मीडिया)

Stone Mines Blasting: रीवा जिले की त्योंथर तहसील स्थित महेबा शंकरपुर गांव विकास की बजाय विनाश का पर्याय बनता जा रहा है। यहां नियमों को ताक पर रखकर की जा रही पत्थर खदानों की ब्लास्टिंग ने ग्रामीणों का जीवन नर्क बना दिया है। ग्रामीणों की न तो दिन में सुकून है और न ही रात में चैन की नींद।

जब भी ब्लास्ट होता है तो हवा में उठते बड़े-बड़े पत्थरों का मलबा आसपास के घरों तक पहुंचकर तबाही मचा देता है। गांव के करीब दो दर्जन घर इस ब्लास्टिंग से बर्बाद हो चुके हैं। भारी धमाकों के बीच जीने को मजबूर ग्रामीण अब अपने ही घरों में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। कभी आसमान से गिरते पत्थर उन्हें घायल कर देते हैं, तो कभी धूल के गुबार में दम घुटने लगता है। हालत ये हो गई है कि कई लोग अब गांव छोडने की तैयारी में हैं। (mp news)

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बिना सूचना के चल रही ब्लास्टिंग, ग्रामीणों में दहशत

गांव के चारों ओर लगभग पांच कशर और एक बड़ी खदान संचालित हो रही है, जिनमें रोजाना बिना किसी पूर्व चेतावनी के ब्लास्टिंग कर दी जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि न तो सायरन बजाया जाता है, न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम किए जाते हैं। धमाकों की तीव्रता इतनी ज्यादा होती है कि मकानों की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं और खपरैल के छप्पर बार-बार टूट रहे हैं। ब्लास्टिंग के बाद उडने वाली धूल लोगों के स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ रही है। सांस की बीमारियां, त्वचा संबंधी परेशानियां और आंखों में जलन जैसी समस्याएं आम हैं। (mp news)

घर के बाहर और अंदर हेलमेट पहनने को मजबूर ग्रामीण

गांव की भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भीर विद्यालय के छात्र अमन पटेल हेलमेट पहनकर पढ़ाई करता है। एक साल पहले जब वह घर के बाहर पढ़ाई कर रहा था, तभी एक ब्लास्टिंग के दौरान उड़ता हुआ पत्थर उसके सिर पर आ लगा और वह घायल हो गया। अब वह किसी भी अनहोनी से बचने के लिए पढ़ाई के दौरान हेलमेट पहनता है। वहीं गांव के विजय पटेल एक रात शौच के लिए घर से बाहर निकले थे, तभी ब्लास्टिंग के कंपन से संतुलन बिगड़ा और वे खदान के पास गिरकर घायल हो गए। (mp news)

ग्रामीणों ने बताई आपबीती, कभी भी सिर पर लग रहे पत्थर

जब भी ब्लास्ट होता है तो उससे धूल का गुबार उड़ता है। यदि उस समय हम लोग खाना खा रहे है तो धूल पूरी हम लोगों के खाने में आ जाती है और पूरा खाना बर्बाद हो जाता है। यहां पर धूल को रोकने के लिए किसी तरह के इंतजाम नहीं किये गये है और न ही कभी अधिकरी जांच के लिए आता है। रंजीत पटेल, स्थानीय निवासी

पिछले आठ साल से यहां पर खदानों में ब्लास्टिंग की जा रही है। अपनी इच्छानुसार किसी भी समय ब्लास्ट कर देते हैं जिसकी वजह से हम लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। ब्लास्टिंग के पत्थर उडकर अपने घरों पर गिरते है जिससे हमारे घरों में दरारें आ गई हैं। - इंद्रमणि पटेल, स्थानीय निवासी

खदान में ब्लास्ट करने की वजह से हमारे घर आए दिन बर्बाद हो रहे हैं। खपरैल घर बर्बाद हो जाते हैं और साल भर में कई बार हमको घर की मरमत करवानी पड़ती है। हर साल हमारा काफी नुकसान ब्लास्टिंग की वजह होता है। अवैध तरीके से यहां ब्लास्ट किया जाता है। -रामलली पटेल, स्थानीय निवासी

ताक पर ये नियम-कायदे

  • ब्लास्टिंग से पहले सायरन बजाना अनिवार्य है।
  • निश्चित दूरी से ही ब्लास्टिंग की अनुमति होती है।
  • धूल नियंत्रण के लिए डस्ट कलेक्टर और एग्जॉस्ट फैन जरूरी हैं।
  • ब्लास्टिंग स्थल पर प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि यहां एक भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। अधिकारी शिकायतों के बाद भी मौके पर जांच के लिए नहीं आते। (mp news)

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Published on:
05 Oct 2025 01:37 pm
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