Bihar News: समस्तीपुर में जमीन हड़पने की साजिश के तहत 11 साल पहले एक रिटायर्ड सैनिक को सरकारी रिकॉर्ड में मरा हुआ घोषित कर दिया गया था। अब वही सैनिक अपने जिंदा होने का सबूत लेकर डीएम के ऑफिस पहुंचा और न्याय की गुहार लगा रहा है।
Bihar News: बिहार के समस्तीपुर जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था और भूमि रिकॉर्ड प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस सैनिक ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपनी जवानी के कीमती साल कुर्बान कर दिए, उसे 11 साल पहले सरकारी रिकॉर्ड में 'मृत' घोषित कर दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि वही व्यक्ति आज जिंदा है, सांस ले रहा है, बोल रहा है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड के लिए वह अब भी एक 'भूत' है। आज यह सैनिक सरकारी फाइलों में खुद को 'जिंदा' साबित करने के लिए दफ्तर-दफ्तर भटक रहा है।
यह मामला कल्याणपुर ब्लॉक के झखरा गांव का है। इस गांव के रहने वाले 63 वर्षीय रिटायर्ड सैनिक अरुण कुमार ठाकुर अब अपने जिंदा होने का सबूत लिए घूम रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, अरुण ठाकुर की मौत 2014 में हो गई थी। पीड़ित सैनिक का आरोप है कि गांव के दबंग भू-माफिया ने उनकी जमीन हड़पने के लिए 2014 में धोखे से उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था।
यह पूरा मामला तब सामने आया जब हाल ही में कुछ लोगों ने रिटायर्ड फौजी की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। जब अरुण ठाकुर ने विरोध किया, तो कब्जा करने वालों ने दावा किया कि सैनिक की 11 साल पहले मौत हो गई थी। उन्होंने तो डेथ सर्टिफिकेट की एक फोटोकॉपी भी दिखाई। यह सुनकर अरुण ठाकुर हैरान रह गए।
रिटायर्ड सैनिक ने जमीन माफिया पर और भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि जमीन हड़पने की साजिश के तहत माफिया ने उनके दोनों बेटों को शराब की लत लगा दी। जब उनके बेटे नशे में धुत और बेबस थे, तो माफिया ने धोखे से उनकी करीब छह कट्ठा जमीन अपने नाम करवा ली। माफिया की सबसे बड़ी चाल पूर्व सैनिक को कागजों में "मृत" घोषित करना था, जिससे जमीन पर उनका मालिकाना हक खत्म हो जाए।
सिस्टम की अनदेखी से परेशान होकर अरुण ठाकुर गले में एक तख्ती लटकाकर अधिकारियों के पास जा रहे हैं, जिस पर लिखा है, "मैं जिंदा हूं।" आँखों में आँसू लिए मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने अपनी जवानी इस देश के लिए कुर्बान कर दी। मैं सेना से सम्मान के साथ रिटायर हुआ। आज वही सिस्टम मुझे मरा हुआ घोषित कर रहा है। मैं अपने ज़िंदा होने का सबूत लेकर एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस भटक रहा हूँ। जब मैं सर्कल ऑफिस गया, तो अधिकारियों ने मुझे पंचायत सेक्रेटरी के पास भेजकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।"
जब उन्हें कोई समाधान नहीं मिला, तो अरुण ठाकुर समस्तीपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और न्याय की गुहार लगाते हुए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रोशन कुशवाहा को एक लिखित आवेदन दिया। आवेदन में अरुण ठाकुर ने कहा कि अगर सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें आधिकारिक तौर पर मरा हुआ घोषित किया जाता है, तो उनकी जमीन और अधिकार पूरी तरह से छीन लिए जाएंगे। डीएम ने पूरे मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे जारी किया गया, इसमें कौन-कौन शामिल थे और किस स्तर पर जमीन के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई, इसकी विस्तृत जांच करें।