MP News: हाई-रिस्क गर्भवती महिलाओं की निगरानी में लापरवाही घातक सिद्ध हो रही है। 15 दिनों में दो महिलाओं की मौत ने स्वास्थ्य सिस्टम की गंभीर खामियां उजागर कर दी हैं।
pregnant women on high risk: मध्य प्रदेश के सतना जिले में हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की निगरानी न होने के कारण प्रसव के पहले या प्रसव के बाद जान जा रही है। सतना में 15 दिन के भीतर 2 महिलाओं की मौत हो गई, जिसकी बड़ी वजह खून की कमी रही। विभाग के रिकॉर्डों में सतना-मैहर में 23049 गर्भवती रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 5502 (22 फीसदी) हाई रिस्क चिह्नित हैं। इनकी चार एएनसी जांच के साथ प्रसव के 10 दिन पहले भर्ती का भी प्रावधान है, जो नहीं हो पा रहा। (MP News)
जिले भर के 8 विकासखंडों में 5502 गर्भवती महिलाएं हाईरिस्क के रूप में दर्ज हैं। इनमें से 4949 एनीमिया और 264 अति गंभीर एनीमिया के रूप में चिहिनत हुई हैं। वहीं 289 महिलाओं में हायपरटेंशन की समस्या मिली है। मैहर ब्लॉक की महिलाओं में सबसे अधिक खून की कमी है।
एनीमिक महिलाओं की मौत के बाद मृत्यु की समीक्षा कर जिसकी लापरवाही होती है, उस पर विभाग कार्रवाई करता है। विभाग के मैदानी अमले को जिम्मेदारी दी गई है कि वह गर्भवती का शत-प्रतिशत एएनसी चेकअप कराए, जो होता भी है। हाईरिस्क के फॉलोअप की समीक्षा भी की जाती है।
डॉ एलके तिवारी, सीएमएचओ सतना
केस-1 : रामपुर बाघेलान की वर्षा कोल विभाग के रिकॉर्ड में गंभीर एनीमिया हाई रिस्क चिह्नित थी। 19 अक्टूबर को वर्षा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर बाघेलान में भर्ती हुई, जहां से सतना रेफर किया गया। जिला अस्पताल में प्रसव के तीन घंटे बाद प्रसूता की मौत हो गई। मौत के बाद तथ्य सामने आया कि वर्षा की नियमित जांच, फॉलोअप ही नहीं हुआ।
केस-2 : नागौद की कोडर निवासी रोशनी की मौत का कारण भी एनीमिया है। गर्भवती की सिर्फ 2 एएनसी जांच हो सकी थी। तीसरी और चौथी जांच नहीं हुई। 1 नवंबर को पेट में दर्द होने पर परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नागौद पहुंचे, जांच में सामने आया कि गंभीर एनीमिया से ग्रसित है। प्रसव का समय 15 नवंबर था, पर पहले हालत बिगड़ने लगी, जिला अस्पताल लाने पर मृत घोषित कर दिया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नागौद से रेफर गर्भवती रोशनी की जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई थी। खून की कमी से जूझ रही रोशनी की नियमित जांच, इलाज न होने के मामले में अब सीएमएचओ डॉ. एलके तिवारी ने जांच के निर्देश दिए हैं। सीएमएचओ ने डीएचओ, डीपीएचएनओ और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को शामिल कर जांच प्रतिवेदन मांगा है। दरअसल रोशनी की सिर्फ 2 एएनसी चेकअप जांच ही हुई थीं। हर गर्भवती महिला की चार एएनसी चेकअप जांच सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कराई जाती है। (MP News)