MP News: सरकारी अस्पतालों में सप्लाई हुई दो दवाएं जांच में अमानक निकलीं। हैरानी यह कि सिप्रोफ्लॉक्सासिन की 4,500 गोलियां मरीजों को खा भी दी गईं, तब गुणवत्ता रिपोर्ट सामने आई।
Substandard Medicines: प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की गई 2 प्रमुख दवाइयां गुणवत्ता में फेल हो गई है। इनमें एक दवा (Ciprofloxacin) की साढ़े चार हजार गोलियां मरीजों के पेट में जा चुकी हैं। सिप्रोफ्लॉक्सासिन एक महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक है, जो संक्रमणों के उपचार में व्यापक रूप से उपयोग होती है। ऐसे में इसका अमानक पाया जाना मरीज सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है। (MP News)
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की सैंपलिंग के बाद एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में हुई जांच में सिप्रोफ्लॉक्सासिन टैबलेट के बैच नंबर सीपीटी-24084 और जिंक टैबलेट के बैच नंबर बी-251219 अमानक पाए गए।
इनमें सिप्रोफ्लॉक्सासिन की साढ़े चार हजार गोलियां यह रिपोर्ट आने से बहुत पहले ही जिला अस्पताल की ओर से मरीजों को दी जा चुकी हैं। अस्पताल के पास अब इस दवा की 500 गोलियां बची हैं, जिन्हें उसने अपने पास रोक लिया है।
ये गोलियां अस्पताल को जनवरी 2025 में मिली थीं। अमानक पाई गई जिंक टैबलेट बहरहाल मरीजों को नहीं दी गईं। इस दवा की 20 हजार गोलियां अस्पताल को सितंबर में मिली थीं। सतना जिला अस्पताल में इस दवा का स्टॉक पहले से था, इसलिए नए बैच की दवा के वितरण की नौबत नहीं आई थी। इसे अब पूरी तरह रोक दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों से ये दोनों बैच वापस मंगवाए हैं। दवा कॉर्पोरेशन ने भी अपने पोर्टल में ही इन बैचों को लॉक कर दिया है, ताकि किसी भी स्तर पर इनका वितरण संभव न हो सके। (MP News)