चंबल अभयारण्य में घड़ियाल संरक्षण की पहल के तहत पांच महीने के 10 घड़ियालों को प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया। सभी पर नौ महीने तक काम करने वाली मॉनिटरिंग डिवाइस लगाई गई है, जिससे उनकी गतिविधियों और शिकार प्रवृत्ति पर नजर रखी जाएगी।
सवाईमाधोपुर: राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य, पालीघाट में घड़ियालों के संरक्षण और सुरक्षा की दिशा में शुरुआत करते हुए वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संजय शर्मा ने गुरुवार को पांच महीने के 10 घड़ियाल के बच्चों को चंबल नदी में उनके प्राकृतिक आवास में पुन:स्थापित किया।
इस दौरान छोड़े गए सभी घड़ियालों पर एक डिवाइस लगाई गई, जो नौ महीने तक कार्य करेगी। इस दौरान घड़ियाल के हैचरी से प्राकृतिक आवास में जाने के दौरान आने वाली परेशानियों एवं उनके शिकार आदि व्यवहार पर नजर रखी जाएगी।
प्रदेश में वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से ‘रियरिंग फास्ट ट्रैक-हेड स्टार्टिंग’ कार्यक्रम के तहत इन बच्चों को अंडों से बाहर निकलने के बाद संरक्षित किया गया था। इस दौरान कुल 30 घड़ियाल शावकों को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य, पालीघाट में बनी हैचरी में रखा गया। फिलहाल, इनमें से 10 को प्रथम चरण में नदी में छोड़ा गया है। शेष को आगामी दिनों में 5-6 दिन के अंतराल पर क्रमवार रूप से छोड़ा जाएगा।
चंबल किनारे मादा घड़ियाल के अंडे देने के स्थान से नवजात बच्चों को जन्म के बाद रेस्क्यू कर संरक्षण में लिया गया। उस समय उनकी लंबाई लगभग 25 सेंटीमीटर थी। सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें अलग-अलग केबिन में रखा गया और जीवित मछली के रूप में प्राकृतिक आहार दिया गया, ताकि वे शिकार की प्रवृत्ति न भूलें। अब उनकी लंबाई लगभग 75 सेंटीमीटर हो गई है।
वन विभाग की ओर से गुरुवार को 30 में से 10 बच्चों को चंबल नदी में छोड़ा गया। शेष को आगामी दिनों में 5-6 दिन के अंतराल पर क्रमवार रूप से छोड़ा जाएगा। सभी घड़ियालों की निगरानी के लिए उनके शरीर पर विशेष डिवाइस लगाई गई है, जो नौ महीने तक कार्य करेगी।
इस दौरान पानी के भीतर उनकी प्रत्येक गतिविधि पर वन विभाग के अधिकारी नजर रख सकेंगे। वन मंत्री ने चंबल अभयारण्य का अवलोकन कर घड़ियाल संरक्षण, कृत्रिम प्रजनन और वैज्ञानिक रियरिंग तकनीकों की जानकारी ली।
वन विभाग के अनुसार, घड़ियाल के बच्चों को चंबल नदी में छोड़ने का समय प्रात: 10 बजे निर्धारित था, किंतु वनमंत्री के समय से पूर्व पहुंचने के कारण उन्हें लगभग साढ़े नौ बजे ही छोड़ दिया गया। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) राजेश गुप्ता, उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक (प्रथम), रणथम्भौर बाघ परियोजना डॉ. रामानंद भाकर, क्षेत्रीय वन अधिकारी किशन कुमार सांखला सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
चंबल नदी में दस घड़ियाल के शावकों को छोड़ा गया है। इन सभी पर डिवाइस लगाई गई है। फिलहाल यह देखा जा रहा है कि यह कितना सरवाइव करते हैं और कहां तक जाते हैं। शिकार कर पाते हैं या नहीं। इसके बाद क्रमवार अन्य घड़ियाल के शावक भी छोड़े जाएंगे। इनके ऊपर लगी यह डिवाइस नौ महीने तक कार्य करेगी। तब तक विभाग की ओर से ट्रैक किया जाएगा।
-रामानंद भाकर, डीएफओ, रणथम्भौर बाघ परियोजना