सवाई माधोपुर

World Tiger Day : रणथम्भौर की रानी बाघिन ‘मछली’, जिसने राजस्थान को बनाया बाघों का घर

World Tiger Day : सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर का नाम जब भी लिया जाएगा, बाघिन मछली का नाम सबसे ऊपर रहेगा। आखिर यह रणथम्भौर की रानी बाघिन ‘मछली’ कौन है? क्यों इतना चर्चित है। विश्व टाइगर दिवस के दिन रानी बाघिन ‘मछली’ के बारे में जानें।

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ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

World Tiger Day : सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर का नाम जब भी लिया जाएगा, बाघिन मछली का नाम सबसे ऊपर रहेगा। टी-16 के नाम से जानी जाने वाली यह बाघिन केवल शिकारी नहीं, रणथम्भौर की पहचान, उसकी रानी और राजस्थान के बाघों की जननी थी। करीब 20 साल तक रणथम्भौर में राज कर मछली ने 18 शावकों को जन्म दिया।

वो अकेली बाघिन, जिसके वंशजों ने सरिस्का, मुकुंदरा, रामगढ़ विषधारी जैसे प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में जीवन संचार किया। आज राजस्थान में जहां भी बाघ हैं, मछली की छाया वहां तक जाती है। किसी बाघिन को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना है। रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन 'मछली' को "लेडी ऑफ द लेक" के नाम से भी जाना जाता था।

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मछली नहीं, ‘जंगल की मां’ थी

2008 में जब सरिस्का बाघों से खाली हो गया था, तब उसे आबाद किया गया मछली की संतानों से। कोटा-बूंदी के जंगलों में भी जब टाइगर ट्रांसलोकेशन हुआ, रणथम्भौर की यही विरासत वहां पहुंची। मछली की वजह से ही राजस्थान की पहचान में बाघ भी शामिल हुए।

इनसे पहचानी गईं

1- द मोस्ट फेमस टाइगर
2- क्रोकोडाइल किलर
3- क्वीन ऑफ रणथम्भौर
4- बाघों की अम्मा

दुनिया भर में दिखाई गई उसकी कहानी

प्रसिद्ध वाइल्डलाइफ फिल्मकार नल्ला मुत्थु ने मछली पर ‘द मोस्ट फेमस टाइगर- मछली’ नामक डॉक्यूमेंट्री बनाई। कुल 47 मिनट की यह फिल्म 26 देशों में दिखाई गई और लंदन में पुरस्कार भी जीत चुकी है। अमरिकी लेखिका केटी योकोम की किताब ‘द थ्री वेज टू डिसअपीयर’ में मछली की कहानी को विस्तार से शामिल कियागया है। इतना ही नहीं, किताब के कवर पर भी मछली की तस्वीर को जगह मिली।

डाक टिकट से लेकर डॉक्यूमेंट्री तक

भारत सरकार ने 2013 में मछली के सम्मान में डाक टिकट जारी किया। यह वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में किसी भी बाघ के लिए एक दुर्लभ सम्मान है। वन विभाग ने मछली पुरस्कार की शुरुआत की, जो वन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिया जाता है। अब रणथम्भौर के जोगीमहल में उसका स्मारक भी बनाया गया है, जिसका उद्घाटन आज किया जाएगा।

उसे देखने देश-दुनिया से आते थे पर्यटक

रणथम्भौर की सफारी की सबसे बड़ी ‘हाइलाइट’ हुआ करती थी मछली की झलक। टूरिस्ट गाड़ी में बैठकर बस यही दुआ करते, ‘आज मछली दिख जाए!’ उसकी साइटिंग दर इतनी अधिक थी कि कई पर्यटक तो उसका नाम लेकर ही सफारी बुक करते। सबसे ज्यादा बार कैमरे में कैद होने वाली बाघिन का रिकॉर्ड भी मछली के ही नाम है।

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Updated on:
29 Jul 2025 09:43 am
Published on:
29 Jul 2025 07:42 am
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