Home-cooked food -देश-दुनिया में बाहर खाने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड के लोग दीवाने से हो गए हैं।
Home-cooked food -देश-दुनिया में बाहर खाने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड के लोग दीवाने से हो गए हैं। हालांकि इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ रहे हैं। मोटापे जैसी अनेक बीमारियां तेजी से फैल रहीं हैं। बाहर खाने और बीमारियों का शिकार बनने से बचाने के लिए एमपी में विशेष पहल की गई है। प्रदेश के शाजापुर जिले में तो पोषण के लिए ‘घर में पकाएंगे - घर का खाएंगे’ सूत्र वाक्य बन गया है। बाजार के अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की बजाए स्थानीय पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए यहां के लाखों लोगों ने बाकायदा शपथ ली है। इस जन-जागरूकता अभियान को सोशल मीडिया से भी जोड़ा गया है।
फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के कारण शरीर बर्बाद हो रहा है। नित नई बीमारियों के रूप में इसके अनेक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और डॉक्टर्स बताते हैं कि बाहर का खाने से बच्चों में मोटापा, मधुमेह, पोषण की कमी और पाचन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
फास्ट फूड और बाहर के खाने से होने वाले इस नुकसान को रोकने के लिए शाजापुर जिले में एक अभियान शुरु किया गया जोकि जनांदोलन में बदल गया। राष्ट्रीय पोषण माह 2025 के मौके पर यहां “घर में पकाएंगे - घर का खाएंगे” का नारा देकर पोषक खाद्य पदाथों के इस्तेमाल की प्रेरणा दी गई।
अभियान के अंतर्गत जिलेभर में पोषण भोजन के समर्थन और बाहर के खाने के विरोध में लोगों से हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं। लोगों को “घर का खाना – सबसे अच्छा खाना” का बाकायदा संकल्प दिलाया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी, स्कूल शिक्षक, पंचायत प्रतिनिधि, स्वयंसेवी संगठन इस अभियान में जुटे हैं। अब तक जिलेभर के 5 लाख से ज्यादा लोग यह शपथ ले भी चुके हैं।
कलेक्टर ऋजु बाफना इसे केवल पोषण अभियान नहीं, बल्कि सामाजिक भागीदारी का अनुपम उदाहरण बताती हैं। वे कहती हैं कि इस नवाचार ने साबित किया है कि यदि सही जागरूकता और समुदाय की भागीदारी हो तो किसी भी योजना को जन आंदोलन में बदला जा सकता है।
शाजापुर में बच्चों को लुभाने के लिए अभियान को “पोषण भी, पढ़ाई भी” थीम से जोड़ा गया है। “दादी नानी बताएंगी, पापा लाएंगे, मम्मी पकाएंगी, बच्चे खाएंगे” अभियान का एक लोकप्रिय नारा है जोकि अब हर गांव, मोहल्ले में गूंज रहा है।