MP News: प्रोजेक्ट चीता के तहत एमपी के कूनो नेशनल पार्क के जंगलों में बसे चीते अब अपना नया कॉरिडोर (Cheetah Corridor) बना रहे हैं। 20 महीने में वे तीन राज्यों में पहुंच गए हैं और खुलेआम घूम रहे हैं।
Cheetah Corridor:प्रोजेक्ट चीता के अंतर्गत प्रस्तावित किए गए कूनो-गांधीसागर चीता लैंडस्केप (Kuno Gandhisagar Cheetah Landscape) भले ही अभी पूर्ण रूप नहीं ले पाया हो, लेकिन कूनो नेशनल पार्क के चीता इसी लैंडस्केप के बीच खुद अलग गलियारा तैयार करते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि श्योपुर और प्रदेश के पड़ोसी जिलों के साथ-साथ राजस्थान के 3 जिलों में 3 अलग-अलग चीता दस्तक दे आए आए हैं। (MP News)
हालांकि कूनो की टीम रेस्क्यू कर इन्हें राजस्थान से ले आई, लेकिन लगभग डेढ़ साल में 3 चीतों का अलग- अलग रास्तों से राजस्थान जाना बताता है कि दुनिया का सबसे तेज धावक चीता कूनों और इसके आसपास के जंगल के के साथ ही राजस्थान के जंगल में भी इलाका तलाश रहा है।
यही वजह है कि 26 दिसंबर 2023 से 11 अगस्त 2025 की अवधि के बीच लगभग 20 महीनों में पचन, अग्नि और ज्वाला राजस्थान के नारों, करौली और सवाईमाधोपुर जिले की सीमा में जा चुके हैं। साफ है कि कूनो-गांधीसागर चीता लैंडस्केप में यदि प्री-बेस सहित अन्य सुविधाएं और ट्रेंड टीमें तैयार हुईं तो फिर चीतों को रेस्क्यू कर वापस लाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
17 सितंबर 2022 को शुरू हुर प्रोजेक्ट चीता (Kuno National Park) को 35 माह हो चुके हैं। इस दौरान चीते श्योपुर सहित 8 जिलों मुरैना, ग्वालियर शिवपुरी और अशोकनगर, जबकि राजस्थान के बारां, सवाईमाधोपुर और करौली में पहुंच चुके हैं। बहरहाल, चीता के विचरण के लिए डब्ल्यूआइआइ देहरादून (WII Dehradun) के विशेषज्ञों सहित अन्य एक्सपर्ट्स ने 17 हजार वर्ग किमी का चीता लैंडस्केप निर्धारित किया है। इसमें मप्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 18 जिलों का का शामिल है। पर यह लैंडस्केप अभी तैयार नहीं है, इसलिए चीतों को वापस लाना पड़ता है।
कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ आर. थिरुकुराल का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में चीते बेहतर तरीके से सर्वाइव कर रहे है और ये खुले तौर पर घूम रहे हैं। यही वजह है कि ये राजस्थान तक भी पहुंब चुके हैं। वहीं चीता लैंडस्केप के लिए अभी प्रक्रिया चल रही है। (MP News)