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MP झेलेगा ‘ट्रंप टैरिफ’ की सबसे बड़ी मार, कॉटन उद्योग को होगा 2000 करोड़ का घाटा!

Trump Tariff Impact: अमेरिका का 50% टैरिफ और भारत सरकार की जीरो इंपोर्ट ड्यूटी ने MP के कपास व टेक्सटाइल्स उद्योग पर दोहरी मार कर दी है। किसान-उद्योगपति अब नए बाजार की तलाश में हैं।

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खरगोन

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Akash Dewani

Aug 30, 2025

mp cotton textiles industry crisis trump tariff impact zero import duty

mp cotton textiles industry crisis trump tariff impact zero import duty (फोटो- Invest India)

MP Cotton Industry: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ का असर (Trump Tariff Impact) मध्य प्रदेश के कपास और टेक्सटाइल्स उद्योग पर भी पड़ेगा। वर्तमान में मध्यप्रदेश से टेक्सटाइल और अपेरल का अनुमानित करीब 3546 करोड़ डॉलर का निर्यात अमरीका को होता है, जो प्रदेश के कुल निर्यात का 26 फीसदी है। 50 फीसदी टैरिफ के बाद यह निर्यात घटकर 1.50 हजार करोड़ ही रहने का अनुमान है। इससे कहीं न कहीं कपास उद्योग के लिए परेशानी खड़ी होगी। हालांकि, उद्योगपति इसकी भरपाई के लिए सरकार के छूट देने की योजना व अन्य देशों से निर्यात बढ़ाने की बात कह रहे हैं। बता दें कि प्रदेश में करीब 50 टेक्सटाइल्स मिल है।

क्वालिटी के दम पर अमरीका में बनाई पहचान

मप्र एसोसिएशन ऑफ कॉटन प्रोसेसर्स एंड ट्रेडर्स के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल के अनुसार अमरीका में खुद की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता कम है। लेकिन टेक्नोलॉजी एडवांस है। पिछले 5-6 सालों में भारतीय कपड़ा अमेरिका में ज्यादा पसंद किया जाने लगा। इसके पीछे हमारी क्वालिटी और डिजाइन चीन सहित अन्य देशों की तुलना में बेहतर है।

ऑस्ट्रेलिया, जापान और ब्रिटेन से उम्मीद

ट्रंप टैरिफ को लेकर व्यापारी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर उम्मीद लगाए बैठे हैं। ब्रिटेन के साथ ड्यूटी फी एग्रीमेंट हो चुका है। ऑस्ट्रेलिया, जापान सहित अन्य देशों में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। सरकार ने फिलहाल टेक्सटाइल पर 11 प्रतिशत ड्यूटी फी आयात की सुविधा दी है। इससे नए देशों में निर्यात बढ़ाने की दिशा में योजनाएं बनाई जा रही हैं।

कपास उत्पादन में मध्यप्रदेश अव्वल

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है। देश में इस साल लगभग 3 करोड़ 15 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो कपास) कपास का उत्पादन हुआ है। प्रदेश में पिछले साल 18 लाख गांठ और इस साल करीब 19 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान है। सिर्फ खरगोन मंडी से ही 2 लाख 80 हजार गांठ आती है। जबकि जिले का उत्पादन करीब 5 लाख गांठ के आसपास है। प्रदेश में कपास उत्पादन में खरगोन जिला पहले नंबर पर है।

टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन के प्रदेश सचिव एमसी रावत ने कहा कि 50 फीसदी टैरिफ से हमारा एक्सपोर्ट रह जाएगा, जिसे हमें दूसरे आवा देशों की ओर शिफ्ट करना पड़ेगा। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स साइन करने और नए बाजारों को तलाशने में कुछ माह का समय लग सकता है। अभी इसका इंतजार करना पड़ेगा।

भारत सरकार के नए फैसले से भी बढ़ेगी दिक्कत

अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत सरकार ने कपास (HS 5201) पर आयात शुल्क को 31 दिसंबर 2025 तक शून्य (zero import duty) कर दिया है। पहले यह छूट 30 सितंबर तक थी, लेकिन अब इसे तीन महीने और बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्रालय की अधिसूचना को लेकर माना जा रहा है कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय दबाव और वैश्विक व्यापार समीकरणों को ध्यान में रखकर लिया गया है। हालांकि, इससे घरेलू किसानों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

मध्य प्रदेश के किसानों पर असर

मध्य प्रदेश देश का प्रमुख कपास उत्पादक राज्य है, खासकर निमाड़ क्षेत्र - खरगोन, खंडवा, बड़वानी, धार, बुरहानपुर, रतलाम इसकी खेती का गढ़ है। वहीं इंदौर, खरगोन, देवास और उज्जैन जैसे जिले कपड़ा उद्योग के लिए जाने जाते हैं। आयात शुल्क खत्म होने से विदेशी कपास की आमद सस्ती होगी, जिससे स्थानीय किसानों और उद्योगों पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। यह फैसला जहां उपभोक्ताओं को राहत दे सकता है, वहीं किसानों की चिंता भी बढ़ा रहा है।