सीकर

बकरे के कान पर लिखा है अल्लाह, खरीदने के लिए मची होड़, कीमत आप भी जान लीजिए

Allah Written on Ears of Goat: राजस्थान में एक बकरे के कान पर उर्दू भाषा में अल्लाह लिखा हुआ है। अब इस बकरे की कीमत हजारों से बढ़कर लाखों में हो गई है। दूरदराज से लोग पहुंचकर इसे खरीदना चाह रहे हैं।

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May 21, 2025
बकरे के कान पर अल्लाह लिखा हुआ (फोटो- पत्रिका)

राजस्थान में सीकर जिले के तहत आने वाले पलसाना एरिया के भगतपुरा गांव में एक किसान के बकरे के कान पर उर्दू भाषा में अल्लाह लिखा हुआ है। यह बात हर किसी के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है। ऐसा बताया जा रहा है कि बकरे की कीमत अब हजारों से बढ़कर लाखों में पहुंच गई है।


किसान जीवराज सिंह शेखावत ने बताया, वे बकरियां पालते हैं। साथ ही वो इनसे पैदा होने वाले बकरों को भी पालकर बड़ा होने पर बेचते हैं। इसी तरह से एक बकरा वर्तमान में भी पाल रखा है, जो करीब 14 महीने का हो गया है। पिछले दिनों जब कोई बकरा खरीदने वाला आया, तब पता चला कि बकरे के कान पर उर्दू में अल्लाह लिखा हुआ है। इसके बाद किसान ने काफी जगहों इसे चेक भी करवाया है।


किसान ने अल्लाह लिखे होने की पुष्टि भी करवाई


इसकी पुष्टी होने के बाद अब कई लोग बकरे को खरीदने के लिए आ रहे हैं। साथ ही अब बकरे की कीमत भी लाखों रुपये से अधिक देने लग गए हैं। राजधानी जयपुर का एक व्यक्ति सात लाख रुपये तक भी देने के लिए तैयार है। किसान ने बताया कि अब बकरीद का त्योहार भी नजदीक आ रहा है। ऐसे में आए दिन बकरे के खरीदार आ रहे हैं।


कब है बकरीद का त्योहार


इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के अनुसार, बकरीद हर साल जुल हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। लेकिन क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चांद पर आधारित होता है, इसलिए इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है। 2025 में बकरीद छह या सात जून को मनाई जा सकती है, लेकिन इसकी सही तारीख चांद दिखने के बाद ही तय होगी। भारत समेत दुनिया के कई देशों में मुस्लिम समुदाय चांद के दिखाई देने के अनुसार बकरीद की तारीख तय करते हैं।


क्यों मनाई जाती है बकरीद?


बकरीद की शुरुआत एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना से जुड़ी हुई है। इस्लामिक परंपरा के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम को अल्लाह ने आदेश दिया था कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दें। इब्राहिम ने बिना झिझके अपने बेटे इस्माईल को कुर्बान करने का निश्चय कर लिया। जैसे ही उन्होंने बलिदान देने की कोशिश की, अल्लाह ने उनके इरादे को देखकर उन्हें रोक दिया और उस जगह एक बकरे की कुर्बानी कराई। तभी से कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई और हर साल ईद उल अजहा पर कुर्बानी दी जाती है।

Updated on:
21 May 2025 03:14 pm
Published on:
21 May 2025 01:12 pm
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