Punganur Cow : राजस्थान के श्रीमाधोपुर (सीकर) के गोगढ़ बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आंध्र प्रदेश से पुंगनूर नस्ल की गोवंश की एक नन्ही जोड़ी गौरा और शिव चर्चा में है। जानें क्यों पड़ा इसका नाम पुंगनूर। खासियतें जानकर हैरान हो जाएंगे।
महेन्द्र सैनी
Punganur Cow : श्रीमाधोपुर. (सीकर) श्रीमाधोपुर के गोगढ़ बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आंध्र प्रदेश से पुंगनूर नस्ल की गोवंश की एक नन्ही जोड़ी (बछिया-बछड़ा) को देखने के लिए लोग आ रहे हैं। आश्रम के संत ने इन गोवंश को गौरा और शिव नाम दिया है। इन गायों की औसत कीमत चार लाख से नौ लाख रुपए तक है। यह हर दिन औसत दो से तीन किलो तक दूध दे देती हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नई दिल्ली के सरकारी आवास पर भी पुंगनूर नस्ल की गायें हैं। पुंगनूर क्षेत्र की रहने के कारण ही इन गायों का नाम पुंगनूर रखा गया है। इन गायों की संख्या देशभर में बहुत कम बची है। सफेद, हल्के भूरे व काले रंग की गायों का माथा चौड़ा होता है और सींग छोटे और अर्धचंद्राकार होते हैं।
पुंगनूर गायों का दूध 8 फीसदी वसा के साथ औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जबकि सामान्य गाय के दूध में 3 से 3.5 प्रतिशत तक ही वसा मिलता है। इनके मूत्र में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। कई जगह फसलों को रोग मुक्त करने के लिए इन गायों का यूरिन किसान अपनी फसलों पर छिड़क रहे हैं।
पुंगनूर नस्ल के गोवंश जोड़ी (बछिया गौरा और बछड़ा शिव) के बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आने पर सतगिरि ने बताया कि गोशाला को यह गोवंश भामाशाह ने दान की है।
ढाई फीट की पुंगनूर गाय सिर्फ 5 किलो के चारे में रोजाना 3 लीटर दूध दे सकती है जो घर परिवार की जरूरतों के लिहाज से काफी है।