Community Gene Bank: सौंफ कम्युनिटी जीन बैंक में 150 से अधिक अनूठी सौंफ की किस्में सुरक्षित हैं, जो राजस्थान की कृषि विविधता और किसानों की इनोवेशन क्षमता दर्शाती हैं। यह पहल स्थानीय जेनेटिक विरासत बचाने के साथ नए आर्थिक अवसर भी बनाएगी।
Community Gene Bank: सिरोही जिले में वर्ल्ड फूड डे के अवसर पर काछोली गांव में राजस्थान का पहला ‘अबू सौंफ कम्युनिटी जीन बैंक’ लांच किया गया। यह पहल बायोटेक किसान हब प्रोजेक्ट के तहत स्थापित की गई।
बता दें, इसका मकसद स्थानीय किसानों की नवाचार क्षमता को बढ़ावा देना और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना है। कार्यक्रम में वैज्ञानिक, शोधकर्ता और जनजातीय किसान शामिल हुए। इसे बायो-टेक्नोलॉजी विभाग की सहायता से साउथ एशिया बायो-टेक्नोलॉजी सेंटर, जोधपुर और CAZRI रीजनल रिसर्च स्टेशन पाली व जैसलमेर ने मिलकर लागू किया।
समारोह में 20 से अधिक लघु एवं सीमांत किसान, जनजातीय महिलाएं और पशुपालक अपने योगदान के लिए सम्मानित किए गए। विशेष रूप से किसान इशाक अली को उनकी 40 साल की मेहनत और उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
उन्होंने कठिन परिस्थितियों में ‘अबू सौंफ 440’ किस्म विकसित की, जो हाल ही में प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइट्स अथॉरिटी के तहत पंजीकृत हुई। यह राजस्थान की पहली किसान विकसित सौंफ किस्म है। इसे राज्य की कृषि पहचान के रूप में देखा जा रहा है।
अबू सौंफ कम्युनिटी जीन बैंक में 150 से अधिक अनूठी सौंफ की जर्मप्लाज्म किस्में संरक्षित की गई हैं। ये किस्में राजस्थान की कृषि विविधता और किसानों की नवाचार क्षमता का प्रतीक हैं। इस पहल से न केवल स्थानीय मसाला फसलों की जेनेटिक विरासत सुरक्षित होगी, बल्कि भविष्य में किसानों के लिए नए आर्थिक अवसर भी खुलेंगे।
यह पहल राजस्थान में किसानों की कृषि नवाचार क्षमता को सशक्त करने और स्थानीय जेनेटिक संसाधनों को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
एसएबीसी जोधपुर के डॉ. भागीरथ चौधरी ने प्रोजेक्ट की उपलब्धियों का उल्लेख किया। इनमें अबू सौंफ कम्युनिटी जीन बैंक की स्थापना, अबू सौंफ-440 का पंजीकरण, अनार में फलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के प्रबंधन के लिए मॉडल बाग की स्थापना और सिरोही नस्ल के बकरों का वितरण शामिल है।