चित्तौड़गढ़ जिले में हुई बेमौसमी बारिश से किसानों को सबसे बड़ा झटका काला सोना कही जाने वाली अफीम की फसल से लगा है। बेमौसमी बारिश से अब किसानों को दोबारा बुवाई करनी पड़ेगी।
चित्तौड़गढ़ जिले में पिछले 48 घंटे में हुई बारिश से जनजीवन प्रभावित हो गया है। किसानों की खेतों में पड़ी कटी फसलें बह गईं और खेतों में बारिश का पानी भर गया है। बेमौसमी बारिश से किसानों को सबसे बड़ा झटका काला सोना कही जाने वाली अफीम की फसल से लगा है। बेमौसमी बारिश से अब किसानों को दोबारा बुवाई करनी पड़ेगी।
गंगरार उपखंड क्षेत्र में किसानों को सबसे बड़ा झटका काला सोना कही जाने वाली अफीम की फसल को लगा है। दीपावली के आसपास हुई बुवाई में बीज के अंकुरित न हो पाने की आशंका है। यही हाल सरसों और चना का भी है। खेतों में पड़ा पशुओं का चारा और कुट्टी भी सड़कर नष्ट हो गया है, जिससे पशुधन के लिए चारे का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। भारतीय किसान संघ ने केंद्र और राज्य सरकार से तत्काल फसल नुकसान का आकलन कर किसानों को शीघ्र मुआवजा देने की मांग की है, ताकि वे दोबारा बुवाई कर सकें।
लगातार हो रही बेमौसम बारिश से खेतों में खड़ी मक्का, मूंगफली, ज्वार सहित रबी की अगेती फसलों को भारी नुकसान हुआ है। जलभराव के कारण फसलें अंकुरित होकर नष्ट होने लगी हैं, जिससे किसानों को खाद, बीज और बुवाई का दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
जिले के चिकारड़ा क्षेत्र में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। किसानों की कटी फसलें बह गईं, जबकि खेतों में पानी भर गया। कई जगहों पर जमीन गीली होने से विशाल पेड़ धराशायी हो गए। जेतपुरा के पास पेड़ गिरने से विद्युत लाइन के पोल टूटकर जमींदोज हो गए और ट्रांसफार्मर भी नीचे गिर गए। गनीमत रही कि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ।
लगातार बरसात से नदी-नाले, एनीकट और सालों से सूखे तालाबों की रपटों पर चादर चलने लगी। वागन और नपावली नदियां भी तेज वेग से बहीं। पानी की जोरदार आवक से खेतों में लगे सूखे नलकूपों से भी ऑटोमैटिक पानी के फव्वारे निकलने लगे। कुओं का जलस्तर इतना बढ़ गया कि हाथ से पानी पिया जा सकता है। वागन डैम में करीब ढाई मीटर पानी पहुंच गया है। किसानों के अनुसार, वर्तमान सीजन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन जमीन में पानी उतरने से अगली फसल के लिए फायदा भी पहुंचा है।