करीब दस दिन पहले केसरीसिंहपुर थाना क्षेत्र गांव 42 जीजी में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी के दामाद गुरचरण सिंह के घर पर फर्जी पुलिसकर्मी बनकर डकैती की वारदात करने वाली गैंग का पुलिस ने फर्दाफाश कर दिया है।
श्रीगंगानगर। करीब दस दिन पहले केसरीसिंहपुर थाना क्षेत्र के गांव 42 जीजी में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी के दामाद गुरचरण सिंह के घर में फर्जी पुलिसकर्मी बनकर डकैती की वारदात करने वाली गैंग का पुलिस ने फर्दाफाश कर दिया है। पुलिस ने इस वारदात में शामिल अंतरराज्यीय गैंग के तीन बदमाशों को बापर्दा गिरफ्तार किया है, जबकि तीन फरार आरोपियों की तलाश जारी है।
एसपी डॉ. अमृता दुहन ने बताया कि मुख्य आरोपी पंजाब के जगरांव मंडी निवासी बलजिंद्र सिंह, उसका बेटा सर्वजीत सिंह और धर्मभाई सुरेंद्र कुमार को दिल्ली से दबोचा गया है। यह गैंग लूट, डकैती, हत्या और पुलिस कस्टडी से फरार होने जैसे 40 से अधिक गंभीर मामलों में वांछित है। प्रत्येक आरोपी पर 10-10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था।
मुख्य आरोपी बलजिंद्र सिंह शातिर अपराधी है। हनुमानगढ़ के नोहर क्षेत्र के गांव परलीका बैंक में डकैती की वारदात में भी शामिल रहा है। बलजिंद्र छह बार पुलिस व जेल कस्टडी से फरार हो चुका है। बलजिंद्र का अपराध करने का तरीका अलग है।
वह नकली पुलिसकर्मी बनकर पीड़ितों को धमकता और लूटपाट की वारदात देने के बाद भाग जाता था। 18 अक्टूबर की रात भी यह गिरोह किराये की एसयूवी कार में सवार होकर गांव 42 जीजी पहुंचा था। वारदात के बाद आरोपी गांवों के कच्चे रास्तों से पंजाब, हरियाणा होते हुए दिल्ली भाग गए।
एसपी दुहन ने बताया कि परिवादी के परिवार का गांव के ही बॉबी नामक युवक से झगड़ा हुआ था। बॉबी मुख्य आरोपी बलजिन्द्र सिंह के बड़े बेटे के साथ फास्ट फूड की दुकान संचालित करता है। बॉबी ने बदला लेने के लिए मुख्य आरोपी और उसकी गैंग के साथ डकैती की साजिश रची। उसने गिरोह को बताया कि गुरचरण सिंह का घर संपन्न है और मोटा माल मिल जाएगा। इसी सूचना पर गैंग ने रेकी कर वारदात को अंजाम दिया।
पुलिस ने गिरोह को पकड़ने के लिए करीब 300 किलोमीटर दूरी में 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले। करणपुर सीओ संजीव चौहान, समेजा कोठी सीआई कृष्ण कुमार, केसरीसिंहपुर सीआई बलवंत राम, गजसिंहपुर के हरबंस सिंह, एसआई रामेश्वर लाल के नेतृत्व में 25 से अधिक पुलिसकर्मी लगातार 10 दिन तक निगरानी में जुटे रहे। छानबीन के दौरान अहम सुराग मिले। अंतत: दिल्ली में क्राइम ब्रांच की मदद से आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।