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रामचंद्र रघुवंशी की देशभक्ति बनी मिसाल, 63 साल से फहरा रहे तिरंगा; महाकुंभ यात्रा के दौरान भी नहीं टूटा था नियम

Independence Day 2025: स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों को हर कोई अपने तरीके से मनाता है, लेकिन पीपलू के 81 वर्षीय रामचंद्र रघुवंशी की देशभक्ति एक मिसाल बन गई है।

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Aug 15, 2025
तिरंगे के साथ रामचंद्र रघुवंशी। फोटो: पत्रिका

Independence Day: पीपलू। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों को हर कोई अपने तरीके से मनाता है, लेकिन पीपलू के 81 वर्षीय रामचंद्र रघुवंशी की देशभक्ति एक मिसाल बन गई है। पिछले 63 सालों से, वे हर वर्ष अपने घर पर शान से तिरंगा फहराते हैं और बच्चों में मिठाई बांटकर आजादी का उत्सव मनाते हैं।

रामचंद्र रघुवंशी बताते हैं कि उनके मन में तिरंगे और देश के प्रति सम्मान हिलोरे मारता है। इसी जुनून के साथ, 63 साल पहले उन्होंने खादी भंडार से एक तिरंगा खरीदा और तब से आज तक हर साल अपने घर पर तिरंगे को फहराने लगे। भारत की आजादी के बाद पीपलू में गणतंत्र दिवस पर प्रभात फेरी निकाली जाती थी, जो करीब 30 साल पहले बंद हो गई लेकिन उनकी देशभक्ति कम नहीं हुई।

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बच्चों के साथ मनाते हैं जश्न

घर पर सिर्फ एक ध्वजारोहण ही नहीं, बल्कि एक छोटा सा समारोह होता है। रघुवंशी बच्चों को अपने घर बुलाते हैं, उनके साथ मिलकर राष्ट्रगान गाते हैं और तिरंगे को सलामी देते हैं। इसके बाद वे बच्चों को मिठाई बांटते हैं, जिससे नई पीढ़ी में भी देशभक्ति की भावना जागृत हो।

स्थानीय लोगों के प्रेरणा का स्रोत

रामचंद्र रघुवंशी कांग्रेस कमेटी के पटेल प्लाजा पर झंडारोहण तथा उपखंड स्तरीय मुख्य समाराेह में पहुंचते है। वे अक्सर सरकारी कार्यक्रमों में भी अपने साथ तिरंगा लेकर जाते हैं। वे ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और वर्तमान में खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उनकी यह परंपरा न केवल उनके समर्पण को दर्शाती है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत भी बन गई है।

बस रोककर तिरंगा लहराया

22 जनवरी 2024 को वे महाकुंभ स्नान और अन्य तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए निकले थे। 26 जनवरी, यानी गणतंत्र दिवस पर, उनका घर पर होना संभव नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने संकल्प को टूटने नहीं दिया। घर से निकलने से पहले ही रामचंद्र रघुवंशी ने तिरंगा झंडा ले लिया। 26 जनवरी के दिन जब वे यात्रा पर थे, तो उन्होंने बीच रास्ते में बस रुकवाई। बस में सवार सभी यात्रियों के साथ मिलकर उन्होंने तिरंगा लहराया और राष्ट्रगान गाया। रघुवंशी के लिए यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि उनके जीवन का एक अटूट हिस्सा है।

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