TV न्यूज

‘रामायण’ में निभाया रावण का किरदार: ‘विलेन’ बन गया एक्टर, जानें नफरत झेलने वाले अरविंद त्रिवेदी का ये सच

TV Ravan Arvind Trivedi Story: ‘रामायण’ में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी की कहानी, जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। लोग उन्हें नफरत भरी निगाहों से देखते थे। लेकिन सच तो कुछ और ही है। एक बार उन्होंने हंसते हुए कहा था, "लोग मुझे खलनायक समझते हैं, लेकिन मैं असल जिंदगी में बहुत धार्मिक इंसान हूं।"

2 min read
Nov 08, 2025
'रावण' के किरदार में एक्टर अरविंद त्रिवेदी (फोटो सोर्स: IMDb)

Arvind Trivedi Birth Anniversary: 1987 का वो दौर… जब सड़कों पर सन्नाटा हो जाता था, क्योंकि उस समय लोग घरों में ‘रामायण’ देखते थे। रामानंद सागर के इस ऐतिहासिक शो ने सिर्फ मनोरंजन नहीं किया, बल्कि लोगों की आस्था का हिस्सा बन गया। हर किरदार लोगों के दिल में बसा। लेकिन एक चेहरा ऐसा था, जो डराता भी था और मोहित भी करता था। वो चेहरा था अरविंद त्रिवेदी का। जी हां, टीवी के सबसे यादगार विलेन ‘रावण’ का।

जब स्क्रीन पर उनकी गरजती आवाज गूंजती तो दर्शक एक पल को सांसें रोक लेते। अरविंद त्रिवेदी ने रावण को इतना जीवंत कर दिया कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी ‘रावण’ कहकर बुलाने लगे। यह सिर्फ अभिनय नहीं था, ये उस कलाकार की समर्पण, शक्ति और कला का प्रमाण था, जिसने खलनायक बनकर भी लोगों के दिलों में अमर जगह बना ली।

ये भी पढ़ें

Video: ‘2 घड़ी का ट्रेंड सुना था अभी 2 पेंट का भी आ गया’- तमन्ना भाटिया का हुलिया देख माथा पीटने लगे फैंस

बतौर एक्टर 300 फिल्मों में किया काम

भारतीय टेलीविजन का सबसे यादगार चेहरा अरविंद त्रिवेदी का जन्म 8 नवंबर 1938 इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ। बचपन से ही उनमें अभिनय का जुनून था, जैसे मंच उनकी आत्मा में बसता हो। पढ़ाई खत्म होते ही उन्होंने थिएटर की राह पकड़ी, और वहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सफर जिसने गुजराती रंगमंच को नई ऊंचाइयां दी। उस दौर में गुजराती थिएटर अपनी रफ्तार पकड़ रहा था, और अरविंद त्रिवेदी अपने बड़े भाई उपेंद्र त्रिवेदी के साथ मिलकर खूब एक्टिंग सीखी। इसके बाद दोनों भाइयों ने न सिर्फ स्टेज पर दर्शकों का दिल जीता, बल्कि सिनेमा को भी नया आयाम दिया।

अरविंद त्रिवेदी ने करीब 300 फिल्मों में काम किया। इसमें ‘जेसल तोरल’, ‘कुंवरबाई नु मामेरू’, ‘वीर मंगदा वाला’ और ‘देश रे जोया दादा परदेश जोया’ जैसी फिल्मों में उनका अभिनय इतना असरदार था कि किरदार पर्दे से निकलकर लोगों के दिलों में बस गया। हर संवाद, हर अभिव्यक्ति में उनका अनुभव बोलता था, शायद यही कारण है कि अरविंद त्रिवेदी सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक संवेदनशील कहानीकार बन गए थे, जो हर भूमिका को आत्मा से जीते थे।

रामायण में किरदार के लिए सोचा था कुछ और मिल गया कुछ

साल था 1987, और रामानंद सागर की ‘रामायण’ का कास्टिंग चल रहा था। अरविंद त्रिवेदी उस वक्त एक साधु का किरदार निभाने की उम्मीद से ऑडिशन देने पहुंचे थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जैसे ही उन्होंने डायलॉग बोले- उनकी भारी आवाज, तीखी नजरों और गूंजते संवादों ने वहां मौजूद सभी को आकर्षित किया। बस, वहीं से अरविंद त्रिवेदी की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ शुरू हुआ।

‘रामायण’ के रावण के रूप में उन्होंने ऐसा अभिनय किया कि दर्शकों को लगा, असली लंका का राजा पर्दे से निकल कर उनके सामने खड़ा है। लोग उन्हें असल जिंदगी में भी ‘रावण’ मानने लगे। अरविंद त्रिवेदी ने एक इंटरव्यू में मुस्कराते हुए बताया था कि लोग मुझे खलनायक समझते थे, कई तो मुझे घर बुलाने से भी डरते थे। लेकिन असल जिंदगी में मैं बहुत धार्मिक इंसान हूं।

अरविंद त्रिवेदी का राजनीतिक सफर और अंत

‘रामायण’ की ऐतिहासिक सफलता के बाद अरविंद त्रिवेदी ने राजनीति का रुख किया। 1991 में वे गुजरात के साबरकांठा से बीजेपी सांसद बने और संसद में पांच साल तक सक्रिय रहे। बाद में 2002 में उन्हें सेंसर बोर्ड का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने भारतीय सिनेमा के लिए अहम नीतिगत फैसले लिए।

अपने अभिनय करियर में उन्होंने गुजरात सरकार से सात बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। 6 अक्टूबर 2021 को दिल का दौरा पड़ने से उनके जीवन का अंतिम अध्याय बंद हुआ। उनके निधन पर ‘रामायण’ के राम अरुण गोविल और सीता दीपिका चिखलिया ने नम आंखों से अपने रावण को श्रद्धांजलि दी।

ये भी पढ़ें

Haq Movie Review: ‘हक’ देखने से पहले जान लीजिए ये बातें, थियेटर जाने से पहले पढ़िए मूवी रिव्यू

Published on:
08 Nov 2025 06:00 am
Also Read
View All

अगली खबर