Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी पर्व नजदीक आते ही बाजारों में गणपति बप्पा की प्रतिमाओं की रौनक देखते ही बन रही है। इस बार मिट्टी की गणेश प्रतिमा के दीवाने हो रहे लोग। क्यों कर रहे है पसंद? वजह है शानदार। जानें।
Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी पर्व नजदीक आते ही बाजारों में गणपति बप्पा की प्रतिमाओं की रौनक देखते ही बन रही है। शहर के बाजारों में पर्यावरण हितैषी मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं लोगों को खूब लुभा रही हैं। इन प्रतिमाओं में 4 इंच की छोटी मूर्ति से लेकर 5 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा तक उपलब्ध हैं। जानकारों के अनुसार, शहर में 70 से 80 दुकानों पर मिट्टी की प्रतिमाओं की बिक्री हो रही है। इन दुकानों में 4 इंच से लेकर पांच फीट की तक की प्रतिमाएं मौजूद हैं। सीजन में उदयपुर जिले में डेढ़ से दो करोड़ रुपए की प्रतिमाओं की बिक्री होती है।
कारीगरों ने विभिन्न भाव-भंगिमाओं और शृंगार में बप्पा की प्रतिमाएं तैयार की हैं। इन दिनों महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों सभी वर्ग के प्रतिमाएं पसंद कर खरीद रहे हैं। सिद्धी विनायक, दगडू सेठ, लाल बाग का राजा, मारवाड़ी गणेश, शिव रूप, बाल गणेश, कान्हा गणेश, सिंहासन, चूहे, मोर आदि पर विराजित गणेश की प्रतिमाएं उपलब्ध है। आने वाले दिनों में मांग और बढ़ने की संभावना है।
मिट्टी से बनी इन प्रतिमाओं की लोकप्रियता का कारण यह भी है कि ये पूरी तरह से इको-फ्रेंडली हैं और विसर्जन के बाद जलाशयों को प्रदूषित नहीं करतीं। इसके साथ ही इन प्रतिमाओं को घर के गमलों में भी विसर्जित किया जा सकता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है।
प्रतिमाओं के विक्रेता महेंद्र कुमार प्रजापत ने बताया कि मिट्टी की प्रतिमाएं नाथद्वारा के मोलेला, कोलकाता, महाराष्ट्र आदि से बनकर आ रही है। श्रृंगार, कलर आदि उदयपुर में किया जाता है। जितना बारीक और अधिक श्रृंगार होता है प्रतिमा की कीमत भी उसी अनुसार बढ़ जाती है।