Who is Professor Sunita Mishra: मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की अवकाशकालीन कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा को आखिरकार औरंगजेब के महिमामंडित करने वाले बयान देने से कुर्सी गंवानी पड़ गई। अभी विवि के कुलगुरु का कार्यभार डॉ. बीपी सारस्वत के पास है।
Who is Professor Sunita Mishra: उदयपुर: मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की अवकाशकालीन कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा को आखिरकार अपने विवादित बयान की कीमत पद गंवाकर चुकानी पड़ी। विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में औरंगजेब को ‘कुशल प्रशासक’ बताने वाले उनके बयान के बाद भारी विरोध हुआ था, जिसके चलते उन्हें पहले अवकाश पर भेजा गया था।
बता दें कि अब उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया है। वर्तमान में कार्यवाहक कुलगुरु का कार्यभार प्रोफेसर बीपी सारस्वत संभाल रहे हैं। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागडे ने संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर मिश्रा का इस्तीफा स्वीकार किया। उनके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज हुई थीं और जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बीते 27 महीनों में उनके कई प्रशासनिक फैसलों ने विवाद खड़ा किया।
बताया जा रहा है कि औरंगजेब वाले बयान के अलावा भी कई निर्णय विश्वविद्यालय के माहौल को प्रभावित किए। यही वजह रही कि वह पांच साल में तीसरी ऐसी कुलगुरु बन गई, जिन्हें कार्यकाल से पहले ही पद छोड़ना पड़ा। इससे पहले अमेरिका सिंह और जेपी शर्मा को भी विवादों के चलते पद छोड़ना पड़ा था।
MLSU की कुलगुरु रही सुनीता मिश्रा ने छह अगस्त 2023 को पदभार ग्रहण किया था। लखनऊ से आई मिश्रा का विश्वविद्यालय में कई बार प्रशासनिक, शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कार्मिकों से टकराव हुआ। इससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हुई और विश्वविद्यालय में गुटबाजी बढ़ती चली गई।
सुनीता मिश्रा देश की उन चुनिंदा शिक्षाविदों में शामिल है, जिन्होंने अकादमिक दुनिया में अपनी मेहनत, शोध कार्य और नेतृत्व क्षमता से एक अलग पहचान बनाई है। वह उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में कार्यरत थी। उनकी नियुक्ति साल 2023 में तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा की गई थी।
मूल रूप से ओडिशा के पुरी की रहने वाली प्रोफेसर मिश्रा ने अपनी उच्च शिक्षा भुवनेश्वर के रमा देवी महिला महाविद्यालय (अब विश्वविद्यालय) और कटक स्थित शैलबाला महिला महाविद्यालय से पूरी की। उनके पति सत्य नारायण भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में अधिकारी हैं।
शिक्षा क्षेत्र में उनका सफर साल 1991 में शुरू हुआ। साल 1991 से 1997 के बीच उन्होंने ओडिशा के बरहामपुर राजकीय महिला महाविद्यालय और कटक के एसबी महिला महाविद्यालय में शिक्षण कार्य किया। इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तथा लखनऊ स्थित बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में लंबे समय तक पढ़ाया और प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभाली। कुल मिलाकर उनके पास 32 साल से अधिक का शिक्षण अनुभव है और लगभग 15 साल तक वह प्रोफेसर व डीन के महत्वपूर्ण पदों पर रही।
प्रो. सुनीता मिश्रा का योगदान केवल शिक्षण तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अब तक 23 किताबें लिखी हैं, 20 पीएचडी शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया है और खाद्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दो पेटेंट भी हासिल किए हैं। उनके नाम 400 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
साल 2008 में उन्हें अमेरिका में नोबेल पुरस्कार विजेता के हाथों सम्मानित किया गया, जो उनके शैक्षणिक जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव रहा। पिछले एक दशक में उन्होंने यूजीसी और एनएएसी की कई अहम समितियों का नेतृत्व किया है और संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम से भी जुड़ी रही।
बताते चलें कि प्रो. सुनीता मिश्रा के त्यागपत्र की स्वीकृति के बाद मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) में छात्र संगठनों ने जश्न मनाया। एबीवीपी के कार्यकर्ता प्रकाश द्वार पर जमा हुए और आतिशबाजी व मिठाई बांटकर खुशी जताई। इकाई अध्यक्ष प्रवीण टांक ने इसे मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा और महाराणा प्रताप के इतिहास का सम्मान बताया।
वहीं, एनएसयूआई भी लंबे समय से उनके बयान का विरोध कर रही थी। छात्र मुख्य द्वार पर भूख हड़ताल पर बैठे रहे। एनएसयूआई अध्यक्ष चिराग चौधरी और पूर्व प्रदेश महासचिव रोहित पालीवाल ने इसे युवा शक्ति की जीत कहा और कहा कि मेवाड़ कभी नहीं झुका है। अब विश्वविद्यालय में नए कुलगुरु की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी। राजभवन जल्द सर्च कमेटी सक्रिय करेगा और आवेदन प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।