उदयपुर

Ayushman Card : राजस्थान के मरीजों को गुजरात के अस्पताल में नहीं मिल रहा आयुष्मान कार्ड का लाभ, ये है सबसे बड़ी वजह

Ayushman Card Truth : आयुष्मान कार्ड को लेकर बड़ी खबर। राजस्थान के मरीज परेशान हैं। वजह है कि राजस्थान के मरीजों को गुजरात के अस्पताल में नहीं मिल रहा आयुष्मान कार्ड का लाभ। वजह जानकर चौंका जाएंगे। सरकार की इस कमी की वजह से बेचने पड़ रहे हैं इलाज ​के लिए घर।

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ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Ayushman Card Truth : प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना भले पूरे देश में लागू हो पर गुजरात में राजस्थानियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। देश के बाकी हिस्सों के मरीज गुजरात में इसी कार्ड से नि:शुल्क इलाज करवा रहे हैं। वहीं मेवाड़-मारवाड़ के सीमावर्ती जिलों के मरीज आयुष्मान कार्ड दिखाने के बावजूद भटक रहे हैं। दोनों राज्यों के बीच इंटर पोर्टेबिलिटी समझौता न होने से राजस्थान के मरीजों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी किडनी, हृदय और न्यूरो के मरीजों को हो रही है, जिन्हें मजबूरी में लाखों रुपए खर्च कर इलाज करवाना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें घर तक गिरवी रखने पड़ रहे हैं।

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राजस्थान के इन जिलों के मरीज जाते हैं गुजरात

गुजरात से सटे राजस्थान के जिले उदयपुर, राजसमंद, सलूंबर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, सिरोही और पाली से रोजाना कई मरीज गुजरात पहुंचते हैं। इन जिलों में नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी जैसी अत्याधुनिक सेवाएं सीमित हैं। इस वजह से किडनी ट्रांसप्लांट, बायपास सर्जरी और डायलिसिस जैसे इलाज के लिए मरीजों को अहमदाबाद रुख करना पड़ता है।

राजस्थान में अटकी हुई है यह प्रक्रिया

गुजरात के अस्पतालों में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली के मरीजों के आयुष्मान कार्ड मान्य हैं, €क्योंकि इन राज्यों की सरकारों ने इंटर पोर्टेबिलिटी समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। राजस्थान में यह प्रक्रिया अटकी हुई है। इसका नतीजा यह है कि एक ही अस्पताल में दूसरे राज्य का मरीज निशुल्क इलाज ले रहा है जबकि राजस्थान का मरीज वही इलाज लाखों रुपए देकर करवा रहा है।

योजना का उद्देश्य और विफलता का कारण

आयुष्मान भारत योजना 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की। इसका उद्देश्य देश के गरीब और कमजोर परिवारों को हर साल 5 लाख तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा देना है, लेकिन कई राज्यों के बीच एमओयू नहीं होने से इंटर-पोर्टेबिलिटी सेवा शुरू नहीं हो पाई। गुजरात और राजस्थान के बीच यह समझौता अब तक नहीं हुआ। जिससे कई मरीज प्रभावित हो रहे है।

केस-2 : उदयपुर के मल्लातलाई निवासी दंपती ने बताया कि अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया। एक साल तक डायलिसिस चली, कुल खर्च करीब 10 लाख रुपए आया। कार्ड दिखाने पर डॉ€क्टरों ने कहा कि राजस्थान सरकार भुगतान नहीं करती इसलिए कार्ड मान्य नहीं है।

केस-2 : मावली के पलानाखुर्द निवासी रामचंद्र तेली ने बताया कि बेटे को इलाज के लिए अहमदाबाद ले गए तो वहां भी आयुष्मान कार्ड रिजे€ट कर दिया गया। बताया कि यह केवल राजस्थान में ही मान्य है। मजबूरी में निजी खर्च पर इलाज चल रहा है। बेटा किडनी रोग से ग्रसित है। वहां एमपी के लोगों का निशुल्क इलाज हो रहा है।

लाखों का बोझ, कार्ड हाथ में फिर भी बेअसर

राजस्थान के मरीज बताते हैं कि उन्हें गुजरात के अस्पतालों में इलाज के लिए 7 से 10 लाख रुपए तक खर्च उठाना पड़ता है। कई परिवारों ने घर गिरवी रखकर या कर्ज लेकर इलाज करवाया जबकि उनके पास वैध आयुष्मान कार्ड मौजूद था।

सरकार की ओर से चल रहे हैं प्रयास

आयुष्मान कार्ड की इंटर-पोर्टेलिबिटी सेवा अभी शुरू नहीं हुई है। इस कारण से गुजरात में राजस्थानियों का इलाज नहीं हो पा रहा है। सरकार स्तर पर यह प्रयास चल रहा और शीघ्र ही यह योजना शुरू हो जाएगी। डॉ.शंकर एच.बामनिया, सीएमएचओ, उदयपुर

300-400 किडनी रोगी
150 से अधिक न्यूरो मरीज
100 से अधिक हृदयाघात पीड़ित इलाज के लिए गुजरात पहुंचते हैं। अधिकांश सरकारी
योजना से वंचित (स्वास्थ्य विभाग के अनुसार उदयपुर संभाग)।

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Published on:
16 Oct 2025 10:14 am
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