Udaipur News: एक बुजुर्ग को डरा-धमकाकर 13 दिन तक तक डिजिटल अरेस्ट करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। साथ ही बुजुर्ग से 33 लाख 60 हजार रुपए की ठगी भी की। 25 नवंबर को ठगों ने जब 30 लाख रुपए और जमा करवाने के लिए कहा तब पीड़ित को शक हुआ।
Udaipur News: उदयपुर शहर के एक सीनियर सिटीजन को साइबर अपराधियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा मामले का फर्जी आरोप लगाकर ऐसा डराया कि वे 13 दिन तक वर्चुअल हिरासत में रहे। उन्हें ऑनलाइन कोर्ट रूम, पेशी, जज, वकील और सीबीआई अधिकारियों की नकली वीडियो कॉल दिखाते रहे। घबराए बुजुर्ग से आरोपियों ने उसके परिवार का पूरा विवरण और खातों की समस्त जानकारी ले ली।
उसके बाद साइबर ठगों ने उनके बैंक खातों, शेयर और बचत योजनाओं से 33 लाख 60 हजार रुपए निकाल लिए। मामले का खुलासा तब हुआ, जब ठग उनसे मकान का सौदा कर 30 लाख की राशि और डालने की मांग करने लगे। घबराए बुजुर्ग ने परिचित को जानकारी देने के बाद सीधा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पहुंचे।
प्राधिकरण के सचिव और एडीजे कुलदीप शर्मा ने पूरी जानकारी लेकर पुलिस महानिरीक्षक गौरव श्रीवास्तव से बात की। बाद में उन्होंने अपने स्टॉफ के संतोष कुमार के साथ बुजुर्ग को आईजी के पास भेजा। आईजी ने सुनवाई के बाद साइबर पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश दिए।
परिवादी ने रिपोर्ट में बताया कि उसके मोबाइल पर 12 नवंबर की सुबह एक अज्ञात कॉल आया। कॉलर ने खुद को ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड पर फर्जी सिम जारी हुई है। यह मामला बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा है। इसके बाद कॉलर ने उन्हें एक कथित इमरजेंसी पोर्टल के वीडियो कॉल पर जोड़ दिया, जहां एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में दिखाई दिया।
ठगों ने खुद को ट्राई और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हुए कहा कि आपका आधार मनी लॉन्ड्रिंग, 40 ट्रांजेक्शन और दो करोड़ रुपए के अवैध लेनदेन में उपयोग हुआ है। आरोपियों ने दबाव बनाकर पीड़ित के सभी सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करवाए और फोन को सर्विलांस पर बता उस दिन 17 घंटे तक वीडियो कॉल ऑन रखते हुए उसके सामने खड़ा रखा।
पीड़ित को बार-बार धमकी दी गई कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा केस में आरोपी है और रिपोर्ट नहीं करने पर गिरफ्तारी हो जाएगी। 25 नवंबर को आरोपियों ने जब पीड़ित 30 लाख और जमा करवाने के लिए कहा तब पीड़ित को शक हुआ। उन्होंने परिचित से बात कर सीधा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पहुंचा और मदद की गुहार लगाई। साइबर थाना पुलिस ने पीड़ित की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया।
परिवादी ने बताया कि 12 से 25 नवंबर तक लगातार कॉल आए और उसे नकली कोर्ट रूम दिखाकर 16-16 घंटे तक ऑनलाइन रखते हुए खड़ा रखा। प्रतिदिन कोर्ट 9.30 बजे खोली। परिवादी असली कोर्ट समझकर बताए आदेश की पालना करता रहा। आरोपियों ने सबसे पहले बुजुर्ग को ऑनलाइन एफआइआर भेजी, फिर अरेस्ट करने का ऑर्डर भेजा, उसके बाद ऑनलाइन जमानत के बाद बॉण्ड भरवाया।
ठगों ने पीड़ित को वीडियो कॉल पर नकली कोर्ट रूम, जज और वकील तक दिखाए। पीड़ित से अंग्रेजी में एफिडेविट लिखवाया और कहा कि उन्हें सात दिन का वर्चुअल रिमांड दिया है तथा किसी से बात करने पर तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इसके बाद ठगों ने पीड़ित से बैंक व पोस्ट ऑफिस खातों, शेयर, एफडी और संपत्ति की जानकारी ली। उसके खातों से पैसे ट्रांसफर करवाए। इनमें यूनियन बैंक से 18 लाख 10 हजार, एसबीआई देबारी से 8 लाख 50 हजार और एसबीआई व एमके ग्लोबल के शेयर बेचकर लगभग सात लाख रुपए एक्सिस बैंक व आईसीआईसीआई बैंक के खातों में डलवाए।
-कोई भी सरकारी एजेंसी (टीआरएआई ट्राई, सीबीआई, पुलिस, बैंक) फोन पर कभी भी जांच, गिरफ्तारी, कोर्ट पेशी या आधार लिंक्ड अपराध के बारे में सूचना नहीं देती।
-वीडियो कॉल पर जज, पुलिस, सीबीआई दिखाना फर्जी होता है। ऐसी कोई प्रक्रिया देश में कहीं नहीं है।
-किसी भी परिस्थिति में ओटीपी, बैंक डिटेल, पासबुक फोटो, शेयर या एफडी की जानकारी साझा न करें।
-यदि कोई राष्ट्रीय सुरक्षा केस, मनी लॉन्ड्रिंग, साइबर-अरेस्ट या फोन सर्विलांस कहकर दबाव बनाए तो तुरंत कॉल काट दें।
किसी भी अनजान कॉल को न उठाएं, किसी तरह की जानकारी मांगते हैं तो बिल्कुल नहीं दें। किसी भी तरह की समस्या सामने आने पर नजदीकी थाने या फिर जिला विधिक प्राधिकरण में संपर्क स्थापित करें। हेल्पलाइन 15100 पर या 1930 पर संपर्क करें।
-कुलदीप शर्मा, एडीजे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव