रिश्वत मांगने के मामले में एसीबी-1 न्यायालय ने अनुसूचित जाति-जनजाति निगम बांसवाड़ा के तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक सुनील मालोत को तीन साल की साधारण कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी ने युवक से 40 हजार के ऋण पर 2500 रुपए रिश्वत मांगी थी।
उदयपुर: व्यापार के लिए 40 हजार रुपए ऋण देने की एवज में 2500 रुपए रिश्वत की मांग करने वाले अनुसूचित जाति-जनजाति निगम बांसवाड़ा के तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक सुनील मालोत को एसीबी-1 न्यायालय ने तीन वर्ष के साधारण कारावास और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
परिवादी ईश्वर यादव ने गत 25 मई 2010 को एसीबी बांसवाड़ा में मूल्यांकन संगठन कार्यालय परियोजना प्रबंधक अनुजा निगम के तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक सुनील पुत्र विजय कुमार मालोत के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत की। बताया कि वह शिक्षित बेरोजगार युवक है और किराना दुकान खोलने के लिए निगम से एक लाख रुपए का ऋण लेना चाहता था, लेकिन आरोपी सुनील मालोत बिना पैसे लिए काम करने को तैयार नहीं है।
उसने ऋण स्वीकृत करने की एवज में 2500 रुपए की मांग की थी। सत्यापन पुष्टि के बाद परिवादी ने आरोपी को दो बार राशि देने का प्रयास किया, लेकिन भनक लगने पर उसने पैसे नहीं लिए। मांग प्रमाणित होने पर एसीबी ने आरोपी के विरुद्ध मामला दर्ज किया।
आरोप पत्र पेश होने पर विशिष्ट लोक अभियोजक राजेश पारीक ने आवश्यक साक्ष्य और दस्तावेज पेश किए तथा तर्क दिया कि आरोपी ने जरूरतमंद युवक से कारोबार के लिए ऋण स्वीकृत कराने के बदले रिश्वत की मांग की। जो कि लोक सेवक द्वारा किया गया गंभीर और घृणित अपराध है।
आरोप प्रमाणित पाए जाने पर एसीबी क्रम-1 के पीठासीन अधिकारी मनीष अग्रवाल ने आरोपी को भ्रष्टाचार की धारा 7 में तीन वर्ष की साधारण कैद व 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि वर्तमान समय में लोक सेवकों द्वारा भ्रष्ट आचरण की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिस पर अंकुश लगाना आवश्यक है। इसलिए आरोपी को दोष सिद्ध अपराध में दंडित किया जाना न्याय संगत है।