राजस्थान में सड़क सुरक्षा अभियान के बीच स्कूली बच्चों की सुरक्षा से बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। उदयपुर शहर में चल रहीं बाल वाहिनियों, वैन और ऑटो में बच्चों को क्षमता से दोगुना तक ठूंसा जा रहा है। पत्रिका टीम के जायजे में कई वैनों में छह की जगह 14 से 16 बच्चे बैठे मिले।
उदयपुर: प्रदेश में लगातार हादसों के बाद चलाए जा रहे सड़क सुरक्षा अभियान में भी स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। शहर में बाल वाहिनियों, वैन और ऑटो में बच्चों को ठूंसकर नियम तोड़े जा रहे हैं।
ओवरलोड गाड़ियां, पुराने मॉडल के वाहन और सुरक्षा उपकरणों की कमी से अभिभावक भी चिंतित हैं। पत्रिका टीम ने बुधवार को शहर का जायजा लिया तो कई स्कूल वैन में निर्धारित से दोगुने तक बच्चे मिले।
वैन में अधिकतम 6 से 8 बच्चों की अनुमति है, कई गाड़ियों में 14 से 16 बच्चे रोज यात्रा कर रहे हैं। हाल ऐसा है कि गेट जबरन लॉक करने के लिए ड्राइवर को उतरकर आना होता है। बाल वाहिनियों में न फायर सेटी उपकरण मिले और न मेडिकल किट।
परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार, स्कूल वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस, वैन ड्राइवर का लाइसेंस और वाहन में फायर एक्सटिंग्विशर और फर्स्ट एड बॉक्स जरूरी है। पर कई बाल वाहिनियां इन मानकों पर खरी नहीं उतर रहीं। कुछ के फिटनेस सर्टिफिकेट वर्षों पहले खत्म हो चुके हैं, फिर भी वे रोजाना सड़कों पर दौड़ रही हैं।
कई वाहनों में तो बच्चों के बैठने तक की पर्याप्त जगह नहीं होती। बच्चे एक-दूसरे की गोद में बैठकर स्कूल पहुंचते हैं। यह नजारा सुबह और दोपहर फतहपुरा, हिरणमगरी, भूपालपुरा और सूरजपोल सहित शहर के हर स्कूल जोन के पास मिला।
-वाहन पीले रंग का हो, जिस पर स्कूल का नाम और मोबाइल नंबर लिखा हो।
-वैन में डोर लॉक, फर्स्ट एड बॉक्स और फायर एक्सटिंग्विशर होना चाहिए।
-वैन में जीपीएस होना, ड्राइवर प्रशिक्षित हो।
-वैन की अधिकतम स्पीड 40 किमी/घंटा हो।
-वाहन के पास वैध फिटनेस और परमिट हो।
समय-समय पर जांच की जाती है, अगले सप्ताह से बाल वाहिनियों की विशेष जांच अभियान चलाएंगे। ओवरलोड या बिना अनुमति चलने वाले वाहनों पर भारी जुर्माना और सीधी कार्रवाई की जाएगी। स्कूल प्रबंधन को लिखित निर्देश भेजे जाएंगे कि वे केवल मान्यता प्राप्त व सुरक्षित वाहनों का ही उपयोग करें। -नितिन बोहरा, जिला परिवहन विभाग अधिकारी
मेरी बेटी रोज उसी वैन में जाती है, जिसमें 15 बच्चे भरे होते हैं। ड्राइवर एक हाथ से स्टीयरिंग संभालता है और दूसरे से फोन पर बात करता है। हर सुबह उसे भेजते हुए मन कांपता है। स्कूल दूर होने के कारण मजबूरी में वैन में भेजना पड़ता है। -नीता भटनागर, निवासी सेक्टर-11