Tourism Excellence Centre: 2016 में सिंगापुर के प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया था शुभारंभ, भारी फीस बनी बाधा
उदयपुर। पर्यटन नगरी उदयपुर में युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर की टूरिज्म स्किल देने के उद्देश्य से शुरू किया गया सिंगापुर मॉडल का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर टूरिज्म ट्रेनिंग अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। प्रदेश का यह एकमात्र एक्सीलेंस सेंटर है, जहां सिंगापुर के टूरिज्म एक्सपर्ट्स की पद्धति से प्रशिक्षण शुरू किया गया था, लेकिन अब यहां ताले लगने जैसी स्थिति बनती जा रही है।
वर्ष 2016 में सिंगापुर के प्रधानमंत्री और राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथों उद्घाटित इस सेंटर में वर्तमान में 544 सीटों के मुकाबले केवल 63 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। पिछले दस साल में इस एक्सीलेंस सेंटर पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक यहां से मात्र 1057 युवाओं को ही प्रशिक्षण मिल पाया है।
सेंटर में कम प्रवेश के पीछे सबसे बड़ा कारण फीस का भारी अंतर माना जा रहा है। यह सर्टिफिकेट कोर्स विशेष रूप से उन युवाओं के लिए तैयार किया गया था, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और 10वीं के बाद पढ़ाई जारी नहीं रख पाते। कोर्स पूरा करते ही होटल, रिसॉर्ट, ट्रेवल एजेंसी और इवेंट इंडस्ट्री में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
एक्सीलेंस सेंटर में फूड प्रोडक्शन, हाउसकीपिंग, फ्रंट ऑफिस, फूड एंड बेवरेज सर्विस, ट्रेवल एंड टूर असिस्टेंट और रिटेल सर्विस जैसे कोर्स में एक वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है। छात्राओं के लिए प्रवेश निशुल्क है, जबकि युवाओं के लिए 30 हजार रुपए वार्षिक फीस तय की गई है।
दूसरी ओर जयपुर के बनीपार्क आरआई सेंटर, लूणी और अलवर सहित प्रदेश के कई आईटीआई संस्थानों में यही कोर्स मात्र 2400 रुपए में कराया जा रहा है। इसी कारण विशेषकर आदिवासी और ग्रामीण युवा इस सेंटर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
यह संस्थान नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग से मान्यता प्राप्त है और यहां मिलने वाला सर्टिफिकेट राष्ट्रीय स्तर पर मान्य है। सेंटर में प्राचार्य सहित 16 फैकल्टी सदस्य कार्यरत हैं, जिनके वेतन पर हर माह 16 लाख 33 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। इस तरह सालाना लगभग दो करोड़ रुपए केवल वेतन पर खर्च हो जाते हैं। इसके अलावा यहां अत्याधुनिक किचन, ट्रेनिंग लैब और अन्य उपकरण उपलब्ध हैं, बावजूद इसके अधिकांश क्लासरूम खाली पड़े रहते हैं।
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टूरिज्म विशेषज्ञों का मानना है कि उदयपुर जैसे शहर में इस तरह के संस्थान की उपयोगिता सबसे अधिक होनी चाहिए थी। होटल, रिसॉर्ट, ट्रेवल एजेंसी और इवेंट इंडस्ट्री को हर वर्ष प्रशिक्षित मैनपावर की जरूरत होती है। इसके बावजूद सीटों का खाली रहना व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि फीस अन्य शहरों के बराबर की जाए या इसमें सब्सिडी दी जाए, तो बड़ी संख्या में युवा इस सेंटर से जुड़ सकते हैं। तय सीटों के अनुसार यदि युवाओं को प्रशिक्षण मिला होता, तो अब तक करीब साढ़े पांच हजार युवा रोजगार पा सकते थे।
| वर्ष | छात्राएं | छात्र | प्लेसमेंट |
| 2016 | 10 | 97 | 74 |
| 2017 | 14 | 131 | 67 |
| 2018 | 13 | 104 | 59 |
| 2019 | 38 | 82 | 62 |
| 2020 | 41 | 35 | 44 |
| 2021 | 80 | 35 | 54 |
| 2022 | 77 | 27 | 44 |
| 2023 | 64 | 44 | 39 |
| 2024 | 37 | 65 | 86 |
| 2025 | 39 | 24 | 00 |
सीटों के मुकाबले प्रवेश कम हो रहे हैं। फीस अधिक होने के कारण युवाओं का रुझान कम है। फीस कम करने के लिए सरकार को पत्र भी लिखा गया है। 10वीं पास युवाओं को टूरिज्म सेक्टर में रोजगार दिलाने में यह सर्टिफिकेट कोर्स अत्यंत कारगर साबित हो सकता है।
अमरचंद सालवी, प्राचार्य, एक्सीलेंस सेंटर, उदयपुर