उदयपुर की चेतना सरगरा ने मेवाड़ी भाषा में कॉमेडी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर बड़ी पहचान बनाई। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली चेतना के इंस्टाग्राम पर 1.87 लाख फॉलोअर्स हैं। जो पहले उलाहना देते थे, अब उनसे इन्फ्लुएंसिंग की टेक्निक पूछते हैं।
उदयपुर: छोटे से गांव की रहने वाली चेतना ने छोटी-सी उम्र में ही बड़ी पहचान बना ली है। रोजमर्रा की बोलचाल की भाषा और घर-परिवार के किस्सों को वीडियो कंटेंट में शामिल किया। मां को आइडियल माना और मेवाड़ी में ही कॉमेडी वीडियो बनाए, जिसने गांव की छोरी को सोशल मीडिया पर स्टार इन्फ्लुएंसर बना दिया।
ये मूलत: राजसमंद के केलवा और हाल में गोमती क्षेत्र के अमरतिया गांव की रहने वाली चेतना सरगरा हैं। साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मां सुशीला और पिता श्यामलाल सरगरा आंगनबाड़ी से जुड़ा काम करते हैं।
भले ही चेतना ने सोशल मीडियो को सफलता की सीढ़ी के रूप में चुना, लेकिन संस्कारों से दूर नहीं हुई। वह कहती हैं कि बॉलीवुड या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसा कोई नहीं, जिसको कॉपी करने की चाह हो। मां ही मेरी आइडियल है और उसी के जैसा बनना चाहती हूं।
चेतना के इंस्टाग्राम अकाउंट पर 1 लाख 87 हजार फॉलोअर्स हैं। बतौर इन्फ्लुएंसर उसे सीएम हाउस में भी जाने का मौका मिला, जहां सीएम भजनलाल से मिली। अब तो परिचित, रिश्तेदार, समाजजन आदि सब जान गए हैं कि चेतना सोशल मीडिया का बेस्ट यूज कर रही हैं। जो लोग पहले उलाहना देते थे, वे अब इन्फ्लुएंसर बनने की टेक्निक पूछते हैं। वे चेतना के साथ वीडियो में शामिल होने की चाह रखते हैं। अपने बच्चों को भी चेतना जैसा बनने की नसीहत देते हैं।
चेतना शुरुआत में शौक से लिप्सिंग वीडियो बनाती थी, जो वायरल होते गए। फिर खुद की आवाज पर वीडियो बनाने लगी, कंटेंट में रोजमर्रा के घर-परिवार के किस्से होते हैं। सोच ये कि हिंदी में तो हर कोई करता है, मेवाड़ी में जमीन से जुड़ाव लगता है।
ठान रखा है कि आगे भी कंटेंट मेवाड़ी में ही होगा। पढ़ाई और सोशल मीडिया दोनों पर बेस्ट परफॉर्म करने की सोच है। कहती हैं कि कई बार विचार खत्म हो जाते हैं तो मां-बहन और भाई ही स्क्रीप्ट तैयार करके देते हैं।
चेतना बताती हैं कि जब उसका जन्म हुआ, इतनी कमजोर थी कि उसके जिंदा रहने की उम्मीद भी नहीं थी और मां की जान पर भी बन आई। पिता सुध-बुध खो बैठे और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई। जैसे-तैसे पिता ने महीनों तक अस्पताल में भर्ती रखा। एक समय तो ऐसा था कि पिता अस्पताल में छोड़कर गांव चले गए तो अन्य बच्चों के माता-पिता ने संभाला।
मां और परिवाजन उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन भाग्य में कुछ और ही लिखा था। चेतना का शरीर सामान्य हुआ और वह जी उठी। परिवार की बुरी हालत देख, रिश्तेदार भी कहते थे कि ’तुहे बेटी को नहीं रखना हो तो हमें दे दो’। लेकिन, मां की ममता नहीं छोड़ पाई। मां ने संघर्ष किया और जैसे-जैसे चेतना बड़ी हुई, परिवार की हालत भी सुधरती गई।
मां सुशीला ने बेटी चेतना को 12वीं तक अच्छी शिक्षा दिलाई। इसके बाद ही वह सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने लगी और मिलियन में व्यूज आने लगे। लोग कहने लगे कि तुहारी बेटी गलत रास्ते पर है, उससे मोबाइल छीन लो।
घर आकर बोलते कि पढ़ाई की उम्र में सोशल मीडिया का चस्का लग गया है, भविष्य खराब कर देगी। लेकिन, मां और भाई ने सपोर्ट किया। उन्हें भरोसा था कि बेटी चेतना कुछ गलत नहीं करेगी। चेतना अभी एमए की पढ़ाई कर रही हैं।