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15,569 करोड़ रुपये का सरकारी बकाया, फिर भी बिजली कंपनियों का निजीकरण क्यों?

उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण की तैयारी चल रही है, जबकि सरकारी विभागों पर ही बिजली कंपनियों का 15,569 करोड़ रुपये का भारी बकाया है। कर्मचारी संगठन का कहना है कि अगर सरकार इसे जमा कर दे तो निजीकरण की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

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Aug 04, 2025
सरकारी बकाया बिजली बिल के नीचे दबी कंपनियां, PC - Patrika Designing Team

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण की तैयारी चल रही है, जबकि सरकारी विभागों पर ही बिजली कंपनियों का 15,569 करोड़ रुपये का भारी बकाया है। बिजली कर्मचारी संगठन इसे 'लूट का दस्तावेज' बता रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सरकार पहले बकाया वसूल करे, जिससे कंपनियां घाटे से उबर सकें।

बिजली कंपनियों पर कुल 1.15 लाख करोड़ रुपये का बकाया है, जिसमें से 15,569 करोड़ रुपये सिर्फ सरकारी विभागों पर बकाया हैं। यह बकाया 31 मार्च 2025 तक का है।

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निजीकरण के लिए प्रस्तावित पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों पर ही कुल मिलाकर लगभग ₹8,591 करोड़ का सरकारी बकाया है। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि अगर सरकार यह बकाया तुरंत जमा कर दे, तो कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है।

निजीकरण पर विरोध और आरोप

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण को एक 'लूट का दस्तावेज' बताया है। रविवार को हुई बैठक में समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण के प्रस्ताव में निगमों की संपत्ति को जानबूझकर कम आंका गया है, ताकि निजी घरानों को फायदा पहुंचाया जा सके।

समिति ने मुख्य सचिव को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रद्द करने की मांग की गई है। उनका कहना है कि पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा पेश किए गए घाटे के आंकड़े सही नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में चंडीगढ़ में निजीकरण के लिए जिस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2020 का इस्तेमाल हुआ था, अब केंद्र सरकार ने अप्रैल 2025 में एक नया डॉक्यूमेंट जारी किया है।

पड़ोसी राज्यों की तुलना में यूपी में बिजली महंगी

उत्तर प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर महंगाई की एक और मार पड़ने वाली है। बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए घरेलू बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की याचिका उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दायर की है। इस पर आयोग के स्तर पर जनसुनवाई भी पूरी हो चुकी है और अब जल्द ही यह तय होगा कि दरें बढ़ेंगी या नहीं। लेकिन चिंता की बात यह है कि यूपी पहले से ही देश के सबसे महंगे बिजली दरों वाले राज्यों में शामिल है, खासकर अपने नौ पड़ोसी राज्यों की तुलना में यहां घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे महंगी बिजली मिल रही है।

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Updated on:
04 Aug 2025 10:07 pm
Published on:
04 Aug 2025 07:53 pm
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