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LDA में भ्रष्टाचार पर गिरी गाज: जेई भरत पांडे सस्पेंड, ज़ोनल अफसर शशि भूषण पाठक भी जांच के घेरे में

LDA officer suspension:  लखनऊ विकास प्राधिकरण के अवर अभियंता भरत पांडे पर अवैध निर्माण को संरक्षण देने और निजी लाभ के लिए पद का दुरुपयोग करने का आरोप सिद्ध होने पर शासन ने की कार्रवाई; ज़ोनल अधिकारी पर भी जांच की तलवार लटकी

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May 02, 2025
Lucknow illegal construction

LDA Scam: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासनिक सख्ती एक बार फिर सामने आई है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में तैनात अवर अभियंता (JE) भरत पांडेय को शासन ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। भरत पांडे पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध निर्माणों को न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि निजी लाभ के लिए उन्हें संरक्षण भी दिया। इतना ही नहीं, सूत्रों के अनुसार उन्होंने विकास प्राधिकरण की छवि को धूमिल करने वाले कई फैसलों में अहम भूमिका निभाई। इस कार्रवाई के बाद ज़ोनल अफसर (ZO) शशि भूषण पाठक पर भी प्रशासन की निगाहें टिकी हैं। सूत्रों के मुताबिक, वह भी कई संदिग्ध फाइलों और स्वीकृति में संलिप्त पाए गए हैं। जल्द ही उन पर भी कार्रवाई हो सकती है।

 कैसे हुआ खुलासा

इस पूरे प्रकरण का खुलासा तब हुआ जब प्राधिकरण मुख्यालय को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बिना नक्शा पास कराए बड़े-बड़े निर्माण कार्य जारी हैं। इन निर्माणों को लेकर स्थानीय नागरिकों ने भी कई बार आपत्ति दर्ज कराई। एक गुप्त जांच टीम गठित की गई, जिसने जमीनी स्तर पर निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया। वहां की स्थिति देखकर टीम भी हैरान रह गई। कई भवनों का न तो कोई वैध नक्शा था, न ही कोई तकनीकी निरीक्षण। जांच में यह सामने आया कि जेई भरत पांडे इन निर्माणों की निगरानी में तैनात थे, लेकिन उन्होंने जानबूझकर कार्यवाही नहीं की। जांच अधिकारियों ने माना कि बिना स्थानीय JE की मिलीभगत के इतना बड़ा अवैध निर्माण संभव ही नहीं।

शासन की कार्रवाई

शिकायतों की जांच पूरी होने के बाद शासन ने JE भरत पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया। LDA उपाध्यक्ष के अनुसार,"यह कार्यवाही भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है। हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे जो विकास प्राधिकरण की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाएगा।"

शशि भूषण पाठक पर क्यों लटकी तलवार

इस पूरे मामले में ज़ोनल अफसर शशि भूषण पाठक की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। जांच रिपोर्ट में कई निर्माणों की स्वीकृति पर उनके हस्ताक्षर मिले हैं, जिनमें न तो स्थल निरीक्षण हुआ और न ही वैधानिक प्रक्रिया का पालन। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ निर्माणों में उन्होंने फील्ड रिपोर्ट के बिना ही अनुमोदन दे दिया, जिससे साफ जाहिर होता है कि मामला सिर्फ लापरवाही का नहीं, संभावित सांठगांठ का है।

कहां-कहां हुए अवैध निर्माण

सबसे ज्यादा अवैध निर्माण गोमती नगर, इंदिरा नगर, ट्रांसगोमती और आलमबाग क्षेत्र में रिपोर्ट हुए हैं। इन क्षेत्रों में मकानों की ऊँचाई, बेसमेंट निर्माण और कमर्शियल प्रयोग को लेकर तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब भी शिकायत की जाती थी, JE या ZO कोई कार्रवाई नहीं करते थे, बल्कि उल्टा शिकायतकर्ताओं को ही धमकाने की कोशिश होती थी।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल

इस कार्रवाई से न केवल एलडीए में हड़कंप मचा है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सत्ताधारी दल की प्रशासनिक लापरवाही को निशाने पर लिया है।
वहीं, शहरी विकास मंत्री ने बयान जारी कर कहा है: "हमारी सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य कर रही है। कोई भी कर्मचारी यदि भ्रष्टाचार में संलिप्त पाया गया, तो उसे निलंबन ही नहीं, बल्कि सेवा से बर्खास्त किया जाएगा।"

जनता की प्रतिक्रिया

अवैध निर्माण से प्रभावित स्थानीय निवासी इस कार्रवाई से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। गोमतीनगर निवासी सुरेश श्रीवास्तव ने कहा, "हमने कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जाकर प्रशासन जागा है। ऐसे अधिकारियों को जेल भेजना चाहिए।"

आगे की जांच और संभावित गिरफ्तारियाँ

सूत्रों के अनुसार शासन ने अब LDA के अन्य ज़ोन में भी ऐसे मामलों की समीक्षा शुरू कर दी है। जल्द ही अन्य JE, AE और ZO के विरुद्ध भी कार्रवाई हो सकती है।

क्या भरत पांडे और शशि भूषण पाठक के खिलाफ आगे विभागीय जांच या मुकदमा चलेगा?

इस पर एलडीए प्रशासन चुप है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने की पूरी संभावना है।

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