Ganga Seva Nidhi : वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर 16 दिन बाद फिर से गंगा आरती की दिव्य गूंज सुनाई दी। घंट-डमरू और शंखनाद के बीच मां गंगा की आराधना के साथ भव्य आरती संपन्न हुई। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस आध्यात्मिक क्षण का साक्षी बनी। महाकुंभ के कारण लगी रोक के बाद अब इसे पुनः शुरू कर दिया गया है।
Ganga Aarti: वाराणसी का दशाश्वमेध घाट एक बार फिर भक्ति और आध्यात्मिकता के रंग में रंग गया, जब 16 दिनों बाद विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का पुनः शुभारंभ हुआ। घंट-डमरू की गूंज, शंखनाद और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की भव्य आराधना संपन्न हुई। यह अलौकिक दृश्य देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाट पर उमड़ पड़े। गंगा आरती की भव्यता को बनाए रखने के लिए गंगा सेवा निधि ने विशेष प्रबंध किए और वालंटियर की संख्या भी बढ़ाई गई। श्रद्धालुओं में इस शुभ अवसर को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला।
महाकुंभ 2025 के पलट प्रवाह और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के चलते 11 फरवरी से गंगा आरती पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई थी। गंगा सेवा निधि ने भी श्रद्धालुओं से अपील की थी कि वे महाकुंभ के बाद काशी आएं। महाशिवरात्रि के बीतने के साथ ही अब श्रद्धालुओं की भीड़ कम होने लगी, जिससे प्रशासन ने आरती दोबारा शुरू करने की अनुमति दे दी। गुरुवार की संध्या को जब मां गंगा की आरती उतारी गई, तो पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। इस दौरान वैदिक मंत्रों, दीपों की ज्योति और भक्तों की श्रद्धा का संगम देखने को मिला।
गंगा सेवा निधि के कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गंगा आरती को अस्थायी रूप से रोका गया था। हालांकि, इस दौरान सांकेतिक पूजन चलता रहा। उन्होंने कहा, "अब जब स्थिति सामान्य हो रही है, तो गुरुवार से पूर्ण विधिविधान के साथ गंगा आरती का शुभारंभ किया गया है। यह देखकर भक्तों में अपार हर्ष है।" संस्था की ओर से आरती की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त वालंटियर तैनात किए गए हैं। वहीं, स्थानीय श्रद्धालु और समाजसेवी अमिताभ दीक्षित ने गंगा आरती दोबारा शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
गंगा आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि काशी की पहचान भी है। प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु और पर्यटक इस दिव्य अनुष्ठान का साक्षी बनने घाट पर पहुंचते हैं।
इस आरती में विशेष रूप से पीतल के बड़े-बड़े दीपकों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें अर्चक लयबद्ध तरीके से घुमाते हैं। ढोल, शंख, घंटियों की ध्वनि और वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच गंगा की लहरें भी आरती के सुर में सुर मिलाती प्रतीत होती हैं।
गंगा सेवा निधि ने अनुमान लगाया है कि अब चूंकि आरती पुनः शुरू हो गई है, इसलिए आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो सकती है। गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले बड़ी संख्या में लोग काशी आकर इस दिव्य अनुष्ठान में शामिल होना चाहेंगे।