Arundhati Roy: अपने क्रांतिकारी विचारों, लेखों और मुखर आवाज़ के लिए जानी जाने वाली भारतवंशी मशहूर अंग्रेजी लेखिका अरुंधति रॉय ( (Arundhati Roy) को ब्रिटेन के पेन पिंटर पुरस्कार 2024 से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।
Arundhati Roy : नोबेल पुरस्कार विजेता नाटककार हेरोल्ड पिंटर (Harold Pinter) की स्मृति में 2009 में स्थापित PEN की ओर से स्थापित वार्षिक पुरस्कार 2024 भारत की मशहूर अंग्रेजी लेखिका और समाजसेविका अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) को दिया जाएगा। उन्हें यह पुरस्कार 10 अक्टूबर को ब्रिटिश लाइब्रेरी में आयोज्य समारोह में प्रदान किया जाएगा। इस मौके पर वह एक संबोधन भी देंगी। उन्हें नर्मदा आंदोलन व "द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स" किताब के लिए जाना जाता है। उन्हें सन 1997 में बुकर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
यह पुरस्कार प्रतिवर्ष यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड गणराज्य या राष्ट्रमंडल में रहने वाले उत्कृष्ट साहित्यिक योग्यता वाले लेखक को प्रदान किया जाता है, जो साहित्य में हेरोल्ड पिंटर के नोबेल पुरस्कार भाषण के शब्दों में, दुनिया पर 'अडिग, अटल' नजर रखता है। हमारे जीवन और हमारे समाज की वास्तविक सच्चाई को परिभाषित करने के लिए एक प्रचंड बौद्धिक दृढ़ संकल्प' को दर्शाता है। अंग्रेजी लेखिका अरुंधति रॉय को पुरस्कार मिलना साहित्यिक जगत के लिए उत्सव जैसी वेला है।
पुरस्कार के लिए इस वर्ष की जूरी में अंग्रेजी PEN अध्यक्ष रूथ बोर्थविक, अभिनेता खालिद अब्दुल्ला और लेखक रोजर रॉबिन्सन शामिल थे। पुरस्कार के पिछले विजेताओं में माइकल रोसेन, मार्गरेट एटवुड, मैलोरी ब्लैकमैन, सलमान रश्दी, टॉम स्टॉपर्ड और कैरोल एन डफी शामिल हैं। रॉय को बधाई देते हुए, बोरथविक ने कहा कि लेखिका बुद्धि और सुंदरता के साथ अन्याय की तत्काल कहानियां बताती है।
वे अंग्रेजी की मशहूर लेखिका और समाजसेवी हैं। उन्होंने कुछ फ़िल्मों में भी काम किया है। अरुंधति राय ने लेखन के अलावा नर्मदा बचाओ आंदोलन समेत भारत के दूसरे जनांदोलनों में भी हिस्सा लिया है।उनकी अनूदित पुस्तकें न्याय का गणित,आहत देश,कठघरे में लोकतंत्र है। हाल ही में उनकी पुस्तक "द डॉक्टर एंड द सेंट: द अंबेडकर-गांधी डिबेट" (अंग्रेजी:The Doctor and the Saint: The Ambedkar-Gandhi Debate) चर्चा में है, जिसका हिन्दी अनुवाद प्रोफेसर रतनलाल ने "एक था डॉक्टर एक था सन्त" के नाम से किया है।
उनका जन्म: 24 नवंबर, 1961 को शिलौंग में हुआ। केरल की सीरियाई ईसाई माता, मेरी रॉय व कलकत्ता निवासी बंगाली हिंदू पिता, राजीब रॉय के घर जन्म हुआ। जब वे दो वर्ष की थीं, तब उनके माता-पिता का विवाह-विच्छेद हो गया और वो अपनी माता और भाई के साथ केरल आ गईं। उनकी माता महिला अधिकार आंदोलनकारी थीं व उनके पिता चाय बाग़ान प्रबंधक थे। अरुंधती ने अपने जीवन के प्रारंभिक दिन केरल में गुज़ारे। उसके बाद उन्होंने आर्किटेक्ट की पढ़ाई दिल्ली से की।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उन्होंने अभिनय से की। मैसी साहब फिल्म में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। इसके अलावा कई फिल्मों के लिए पटकथाएं भी उन्होंने लिखीं। जिनमें In Which Annie Gives It Those Ones (1989), Electric Moon (1992) को खासी सराहना मिली। जब उन्हें 1997 में उपन्यास गॉड ऑफ स्माल थिंग्स के लिये बुकर पुरस्कार मिला तो साहित्य जगत का ध्यान उनकी ओर गया। हाल ही में उनकी पुस्तक "The Doctor and the saint: The ambedkar-Gandhi Debate" पुस्तक चर्चा में है , जिसका हिन्दी अनुवाद भी "एक था डॉक्टर एक था सन्त" के नाम से प्रोफेसर रतनलाल ने किया है , काफ़ी चर्चा में है।
अरुंधति राय अमरीकी साम्राज्यवाद से लेकर, परमाणु हथियारों की होड़, नर्मदा पर बांध निर्माण आदि कई स्थानीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करती रही हैं, लेकिन अब उनका मानना है कि कम से कम भारत में अहिंसक विरोध प्रदर्शनों और नागरिक अवज्ञा आंदोलनों से बात नहीं बन रही है।
संसदीय व्यवस्था का अंग बने साम्यवादियों और हिंसक प्रतिरोध में भरोसा रखने वाले माओवादियों की विचारधाराओं में फंसी अरुंधति स्वीकार कहती हैं कि वो गांधी की अंधभक्त नहीं हैं। उन्हीं के शब्दों में- "आख़िर गांधी एक सुपर स्टार थे। जब वे भूख-हड़ताल करते थे, तो वह भूख-हड़ताल पर बैठे सुपर स्टार थे। लेकिन मैं सुपरस्टार राजनीति में यक़ीन नहीं करती, यदि किसी झुग्गी की जनता भूख-हड़ताल करती है तो कोई इसकी परवाह नहीं करता।"