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बांग्लादेश में डेंगू का कहर बढ़ रहा, अब तक मौतों की संख्या पहुंची 167

Bangladesh Dengue Outbreak 2025: बांग्लादेश में डेंगू से 2025 में अब तक 167 लोगों की मौत हो चुकी है।

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Sep 18, 2025
बांग्लादेश में डेंगू का कहर बढ़ रहा। (फोटो: आईएएनएस.)

Bangladesh Dengue Outbreak 2025: बांग्लादेश में बुधवार को डेंगू संक्रमण के कारण छह और लोगों की मौत हुई है। इस तरह इस साल (2025) डेंगू से मरने वालों (Bangladesh Dengue Outbreak 2025) की कुल संख्या 167 हो गई है। यह जानकारी स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने दी है। मौतें विभिन्न इलाकों में हुई हैं - ढाका उत्तर नगर निगम में 2, ढाका दक्षिण नगर निगम में 2, बारिशाल संभाग में 1 और चटगांव संभाग में 1 व्यक्ति चल बसा। जानकारी के अनुसार बांग्लादेश के अस्पतालों में अब तक 38,527 डेंगू रोगी भर्ती हो चुके हैं। इस समय लगभग 2,042 मरीजों का इलाज जारी है।

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संक्रमण के केंद्रित क्षेत्र

ढाका उत्तर व दक्षिण नगर निगमों के बारिशाल और चटगांव जैसे इलाकों में नए मामले सामने आए हैं।

उदाहरण के लिए: ढाका दक्षिण नगर निगम में 128 नए मामले सामने आए हैं।
ढाका उत्तर नगर निगम में 113 मामले सामने आए हैं।
बारिशाल संभाग बाहरी इलाके में 108 मामले सामने आए हैं।
चटगांव संभाग बाहरी इलाके में 96 मामले दर्ज हुए हैं।

इलाज और अस्पतालों की तैयारी

अस्पतालों में डेंगू मरीजों के लिए विशेष वार्ड स्थापित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

मरीजों को अलग कमरों में रखना, जरूरत पड़ने पर ICU की सुविधा देना अनिवार्य किया गया है।

डॉक्टर और नर्सों को विशेष ज़िम्मेदारियाँ दी गई हैं ताकि रोगियों की देखभाल बेहतर हो सके।

अस्पतालों को दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और ब्लड टेस्ट जैसी जाँच सेवाएँ सक्रिय रखने के निर्देश मिले हैं।

तुलना: पहले कैसे था ?

वर्ष 2024 में डेंगू से लगभग 575 लोगों की मौत हुई थी।

उसी अवधि में लगभग 101,214 मामले दर्ज हुए थे और 100,040 मरीज स्वस्थ होकर लौटे थे।

स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर चुनौती

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर चुनौती बता रहे हैं। उनका मानना है कि समय पर मच्छर नियंत्रण और साफ-सफाई नहीं होने से हालात बिगड़ रहे हैं।

स्थानीय नागरिकों में डर और चिंता का माहौल है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार से तत्काल व्यापक फॉगिंग अभियान, और साफ-सफाई को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की संख्या बढ़ने पर संसाधनों की कमी की ओर ध्यान दिलाया है।

आगे क्या हो सकता है ?

यदि डेंगू के मामलों में यही रफ्तार बनी रही तो अक्टूबर–नवंबर में डेंगू चरम पर पहुंच सकता है, क्योंकि ये डेंगू का पीक सीज़न होता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जल्दी ही विशेष टीमें और अतिरिक्त बजट आवंटित किए जा सकते हैं।

हो सकता है कि स्कूलों में बच्चों को मच्छर से बचाव के लिए खास निर्देश दिए जाएं और डेंगू जागरूकता अभियान चलाया जाए।

वह मामला, जो चर्चा में नहीं है

मजदूर वर्ग और ग्रामीण इलाकों में डेंगू का असर भी गंभीर है, लेकिन वहां रिपोर्टिंग और इलाज की सुविधा सीमित है, जो बड़ी चुनौती बन सकती है।

प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की ऊंची फीस की वजह से गरीब तबका सरकारी अस्पतालों पर निर्भर है, जिन पर पहले से ही मरीजों का बोझ है।

बांग्लादेश जैसे घनी आबादी वाले देश में जनसंख्या घनत्व और शहरी असमानता डेंगू के तेजी से फैलाव में छुपे कारक हैं, जिन पर कम ही चर्चा होती है।

(इनपुट : आईएएनएस.)

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