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Bangladesh Violence: उस्मान हादी की मौत के बाद एक और छात्र नेता की हत्या, हमलावरों ने सरेआम सिर में मारी गोली

Bangladesh Political Turmoil: बांग्लादेश में चुनावों से पहले हिंसा तेज हो गई है। NCP नेता मोतलेब सिकदर पर हुए जानलेवा हमले और उस्मान हादी की मौत ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।

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Dec 22, 2025
बांग्लादेश हिंसा (फोटो- ब्लूमबर्ग)

Bangladesh Political Violence: बांग्लादेश में आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक हिंसा (Bangladesh News) का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। ताजा घटनाक्रम में, अज्ञात बंदूकधारियों ने छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के एक वरिष्ठ नेता मोहम्मद मोतलेब सिकदर को निशाना बनाया और उनके सिर में गोली मार दी (Political Unrest)। यह हमला उस समय हुआ है जब देश पहले से ही इंकलाब मंच के प्रवक्ता उस्मान हादी की हत्या (Student Leader Shot) के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आग में झुलस रहा है।

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अज्ञात हमलावरों ने घर में घुस कर किया हमला (Dhaka Violence)

बांग्लादेशी समाचार पत्र 'प्रोथोम आलो' के अनुसार, यह सनसनीखेज वारदात सोमवार तड़के करीब 11:45 बजे खुलना शहर के सोनाडांगा इलाके में हुई। हमलावरों ने मोतलेब सिकदर को उनके घर के पास तब घेरा जब वे पार्टी की आगामी 'श्रमिक रैली' की तैयारियों में व्यस्त थे। सिकदर एनसीपी की श्रमिक शाखा 'जातीय श्रमिक शक्ति' के केंद्रीय आयोजक और खुलना मंडल के संयोजक हैं।

अस्पताल में जीवन-मौत की जंग

गोली सिकदर के सिर के बाईं ओर लगी है। घटना के तुरंत बाद उन्हें खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए सीटी स्कैन और अन्य उन्नत जांचें की गई हैं। फिलहाल वे डॉक्टरों की कड़ी निगरानी में हैं। सोनाडांगा पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अनिमेष मंडल ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा है कि अपराधियों को पकड़ने के लिए जांच तेज कर दी गई है।

उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की आग

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के गम और गुस्से में डूबा हुआ है। 32 वर्षीय हादी, जो अपने भारत विरोधी बयानों और 2024 के छात्र विद्रोह के लिए जाने जाते थे, पर 12 दिसंबर को ढाका में हमला हुआ था। सिंगापुर में इलाज के दौरान 18 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद से पूरे बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है।

चुनाव से पहले 'ब्रेन वॉर' और हिंसा का डर

इधर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि छात्र नेताओं को निशाना बनाना चुनावों से पहले डर का माहौल पैदा करने की साजिश हो सकती है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद भी बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

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