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पाकिस्तान से पलायन कर रहीं बड़ी कंपनियां: भ्रष्टाचार-आतंकवाद ने बनाई बिजनेस के लिए कब्रगाह

Multinational companies leaving Pakistan: पाकिस्तान से P&G, यामाहा जैसी कंपनियां जा रही हैं। भ्रष्टाचार-आतंकवाद मुख्य वजह है। यह आर्थिक संकट गहरा रहा है, FDI घट रहा है और रोजगार प्रभावित हो रहा है।

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Oct 06, 2025
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पाकिस्तान छोड़ रही हैं। (फोटो: IANS )

Multinational companies leaving Pakistan: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर लगातार झटके (Pakistan economic crisis MNC exodus) लग रहे हैं। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां (Multinational companies leaving Pakistan) एक के बाद एक देश छोड़ रही हैं। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और नियमों की जटिलताओं ने बिजनेस (Corruption terrorism Pakistan business) को असंभव बना दिया है। 24 करोड़ आबादी वाले इस देश में भी कंपनियां जा रही हैं। आइए, आसान समझें कि क्या हो रहा है और क्यों। पिछले कुछ महीनों में कई दिग्गज कंपनियां पाकिस्तान से बाहर हो गईं। अक्टूबर 2025 में प्रॉक्टर एंड गैंबल (P&G) ने अपना मैन्युफैक्चरिंग बंद कर तीसरे पक्ष के वितरकों पर निर्भर होने का फैसला लिया। इससे पहले यामाहा ने सितंबर में मोटरसाइकिल उत्पादन रोका। माइक्रोसॉफ्ट ने जुलाई में अपना ऑफिस बंद किया। शेल ने ईंधन खुदरा बिजनेस छोड़ा, उबर ने सेवाएं बंद कीं, और फाइजर ने दवा कारोबार समेटा। ये कंपनियां ग्लोबल रिस्ट्रक्चरिंग का हवाला दे रही हैं, लेकिन पाकिस्तान का माहौल मुख्य वजह है।

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मुख्य कारण: आर्थिक अस्थिरता और सुरक्षा खतरे

विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान में मुद्रा अवमूल्यन, ऊंची मुद्रास्फीति और नीतिगत अनिश्चितता ने कंपनियों को परेशान किया है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी आम हैं, जो हर स्तर पर व्यवसाय को प्रभावित करती है। आतंकवाद और सुरक्षा चिंताएं भी बड़ा मुद्दा हैं – चीनी इंजीनियरों पर हमलों जैसे घटनाक्रम विदेशी निवेशकों को डरा रहे हैं। करों का बोझ और मुनाफे की विदेश भेजने में बाधाएं ने हालात और बिगाड़ दिए। यूसुफ नजर जैसे विशेषज्ञों के अनुसार, बाजार की लंबी क्षमता का आकलन ही कंपनियों को भागने पर मजबूर कर रहा है।

इस्लामाबाद में चिंता का माहौल

इस्लामाबाद में ये विदाई एक 'अविश्वास प्रस्ताव' की तरह लग रही हैं। व्यवसायी समुदाय और अर्थशास्त्री चिंतित हैं कि इससे रोजगार कम होंगे और FDI घटेगा। पाकिस्तान IMF पर निर्भर हो गया है, लेकिन ये बैलआउट समस्या की जड़ नहीं छूते। विशेषज्ञ कहते हैं कि राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार न सुलझे तो और कंपनियां जाएंगी। सऊदी अरामको और चीनी निवेशक कुछ जगह भर रहे हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं।

पिछले तीन बरसों का सिलसिला

यह पलायन 2022 से ही तेज हुआ है। एली लिली, सैनोफी और टेलीनॉर जैसी कंपनियां पहले ही चली गईं। वहीं सन 2024-25 बजट में सुधार न होने से FDI और गिर गया। चीन CPEC के जरिये निवेश कर रहा है, लेकिन वैश्विक कंपनियां दुबई या सिंगापुर की ओर रुख कर रही हैं। अगर सुधार न हुए, तो 2026 तक और झटके लग सकते हैं।

भारत के लिए अवसर

बहरहाल पाकिस्तान का संकट भारत के लिए बिजनेस हब बनने का मौका है। भारत ने FDI को 81 अरब डॉलर तक पहुंचाया, जबकि पाकिस्तान में गिरावट आ रही है। भारत की स्थिर नीतियां और डिजिटल इकोनॉमी कंपनियों को आकर्षित कर रही हैं, लेकिन क्षेत्रीय तनाव के कारण सावधानी बरतनी होगी।

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