अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों और संगठनों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के प्रस्तावित छात्र वीजा नियमों के खिलाफ मोर्चा खोला है। उनका कहना है कि यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अवसरों को सीमित करेगा और अमेरिकी विश्वविद्यालयों की प्रतिस्पर्धा घटाएगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा
अमेरिका के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों और संगठनों ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के प्रस्तावित छात्र वीजा नियमों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
उनका कहना है कि यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अवसरों को सीमित करने के साथ अमेरिकी विश्वविद्यालयों की प्रतिस्पर्धा घटाएगा और देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाएगा।
गौरतलब है कि हालिया बदलावों के बाद छात्र वीजा एफ-1 के लंबे समय से लागू ‘ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस (डी/एस)’ नीति को खत्म कर दिया जाएगा। इसके बजाए अब एफ-1 (स्टूडेंट) और जे-1 (एक्सचेंज विजिटर) वीजा को अधिकतम चार साल तक सीमित करने का प्रस्ताव है।
जबकि आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि बड़ी संख्या में अमरीकी छात्र भी डिग्री पूरी करने में 4 साल से अधिक समय लेते हैं। अनुमान है कि नया प्रोसेस वैसा ही बैकलॉग पैदा कर सकता है जैसा हाल के वर्षों में ऑपरेशन प्रेक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) के मामलों में देखा गया है।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2023-24 में अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अनुमानित 44 अरब डॉलर का योगदान दिया और करीब 3.8 लाख नौकरियों को सहारा दिया।
विश्वविद्यालयों का कहना है कि यदि वीजा नियम कठोर बने तो अंतरराष्ट्रीय दाखिले और घटेंगे, घरेलू छात्रों की ट्यूशन फीस बढ़ेगी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अमेरिकी पिछड़ सकता है।
अकादमिक प्रोग्राम बदलने और विश्वविद्यालय ट्रांसफर पर रोक जैसी पाबंदियां लगेंगी। पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्रों को अब तक 60 दिन का जो ग्रेस पीरियड मिलता था, वह घटाकर 30 दिन कर दिया जाएगा। अंगेजी भाषा के अध्ययन को अधिकतम 24 महीने तक सीमित किया जाएगा।
चार साल से ज्यादा समय लेने वाले छात्र (जैसे पीएचडी, संयुत डिग्री, मेडिकल रेजिडेंसी में काम करने वाले छात्र) को नया एक्सटेंशन ऑफ स्टेट्स (ईओएस) प्रोसेस अपनाना होगा, जिसके अभी कोई नियम नहीं बने हैं।
अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन (एसीई) और 53 अन्य उच्च शिक्षा संगठनों ने छात्र वीजा में नए बदलाओं को ‘त्रुटिपूर्ण नियम’ बताते हुए कहा है कि वह ऐसी समस्याओं का समाधान खोज रहा है जो असल में हैं ही नहीं।
संगठनों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि यह नियम लागू हुए तो यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अमेरिका आने से हतोत्साहित करेंगे और पहले से पढ़ रहे हजारों छात्रों के करियर को बाधित करेंगे।
दूसरी ओर, प्रेसिडेंट्स एलायंस ऑन हायर एजुकेशन एंड मिग्रेशन ने चेतावनी दी कि यह नियम ‘कठोर अकादमिक समयसीमा’ थोप देगा, नौकरशाही पैदा करेगा और अकादमिक स्वतंत्रता में दखल देगा।
एलायंस की अध्यक्ष मिरियम फेल्डलम ने कहा, नए नियम लागू हुए तो यह छात्रों, संस्थानों, छोटे व्यवसायों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाएगा।
अमेरिका में सभी गैर-आप्रवासी वीजा के लिए नया अनिवार्य 250 डॉलर का इंटीग्रिटी शुल्क बुधवार से लागू हो गया। 1 अटूबर, 2025 यानी अमेरिका के नए वित्तीय वर्ष से यह शुल्क अब हर नए वीजा पर लागू होगा, जिसमें एफ-1 और एफ-2 छात्र वीजा, जे-1 और जे-2 एक्सचेंज वीजा, एच-1बी और एच-4 वर्क वीजा के साथ ही पर्यटक बी-1/बी-2 जैसी श्रेणियां हैं।