
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पुतिन और जेलेंस्की को सीजफायर के लिए मना रहे । (सांकेतिक फोटो: AI)
Ukraine War Peace Talks: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध (Ukraine Russia War) को अब करीब चार साल होने वाले हैं, और दुनिया भर में शांति की कोशिशें तेज हो गई हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ (Zelenskyy Witkoff Meeting) जल्द जर्मनी जाएंगे, जहां वे यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे। बर्लिन में होने वाली यह बातचीत शांति समझौते (Trump Peace Plan) के नए वर्जन पर फोकस करेगी। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि क्रिसमस तक कोई डील हो जाए, इसलिए पिछले कुछ हफ्तों में कई राउंड की मीटिंग्स हो चुकी हैं। ये मीटिंग्स यूक्रेन के 20-पॉइंट पीस प्लान के रिवाइज्ड वर्जन पर आधारित हैं, जो नवंबर में सामने आया था।
सबसे बड़ा पेच पूर्वी यूक्रेन के इलाकों का है। यूक्रेन किसी भी कीमत पर जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जबकि रूस डोनबास क्षेत्र पर कब्जा करना चाहता है। अमेरिका का प्रस्ताव है कि यूक्रेन अपनी फौजें पीछे हटाए और वहां 'स्पेशल इकोनॉमिक जोन' बनाया जाए, जहां रूस आगे न बढ़े। लेकिन जेलेंस्की ने सवाल उठाया है – "रूस को आगे बढ़ने से कौन रोकेगा ? वे नागरिक (civilian) बन कर घुसपैठ कर सकते हैं।"
यूरोपीय लीडर्स भी इस वार्ता में शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर, फ्रांस के इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज इसमें भाग ले सकते हैं। यूक्रेन और उसके सहयोगी कह रहे हैं कि बातचीत फायदेमंद रही है, लेकिन ट्रंप, जेलेंस्की और यूरोपीय देशों से नाराज दिख रहे हैं। ट्रंप ने यूरोपीय लीडर्स को "कमजोर" कहा है और यूक्रेन में चुनाव कराने की मांग की है। जेलेंस्की ने जवाब दिया कि अगर अमेरिका और यूरोप सिक्योरिटी गारंटी दें, तो 90 दिनों में चुनाव हो सकते हैं – क्योंकि 2022 के रूसी हमले के बाद मार्शल लॉ लगने के कारण चुनाव रुके हुए हैं।
रूस और यूक्रेन युद्ध पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात करता है, जो हमारी एनर्जी जरूरतों का बड़ा हिस्सा है। अगर दोनों देशों के बीच शांति हो गई, तो तेल की कीमतें स्थिर हो सकती हैं, जो भारत के लिए अच्छी खबर होगी, क्योंकि इससे महंगाई पर कंट्रोल रहेगा। साथ ही, यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन बिगड़ी हुई है, खाद्यान्न और फर्टिलाइजर की कीमतें ज्यादा हैं – भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह सीधी चिंता की बात है। भारत हमेशा से शांति की अपील करता रहा है और पीएम मोदी ने दोनों पक्षों से बातचीत की वकालत की है। अगर यह डील सफल हुई, तो भारत की विदेश नीति को भी बूस्ट मिलेगा, क्योंकि हम रूस और पश्चिमी देशों, दोनों से अच्छे रिश्ते रखते हैं।
यूक्रेन को अगले दो बरसों के दौरान करीब 160 अरब डॉलर की अतिरिक्त फंडिंग चाहिए। यूरोपीय यूनियन ने रूसी एसेट्स (संपत्ति) को फ्रीज करने का फैसला किया है, जिनकी वैल्यू 247 अरब डॉलर के आसपास है। अगर डील हुई, तो यह पैसा यूक्रेन को लोन के रूप में मिल सकता है, जिससे वहां की सेना और पुनर्निर्माण में मदद होगी। रूस इसे चोरी बता रहा है और वह मुकदमा करने की धमकी दे रहा है।
इस शांति प्लान में यूक्रेन को संभवतः 2027 तक EU में शामिल करने की बात भी है। ब्रुसेल्स इसका समर्थन कर रहा है, जो यूक्रेन के लिए बड़ा सपोर्ट है। कुल मिला कर, यह बातचीत उम्मीद जगाती है, लेकिन जमीन पर अभी कोई ब्रेकथ्रू नहीं दिख रहा है। ट्रंप की बेताबी और जेलेंस्की की सतर्कता के बीच बैलेंस बनाना चुनौती है।
बहरहाल, भारत जैसे देशों के लिए यह वार्ता इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि लंबा युद्ध महंगाई, ऊर्जा संकट और कारोबारी खलल पैदा करता है। उम्मीद करें कि बर्लिन मीटिंग से कुछ पॉजिटिव निकले और दुनिया को राहत मिले। क्या लगता है आपको – क्या शांति जल्दी संभव है? कमेंट करके बताइए!
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Updated on:
13 Dec 2025 03:34 pm
Published on:
13 Dec 2025 03:33 pm
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