China occupation of Taiwan : चीन ताईवान और जनता में भय पैदा करने के लिए एक माइंड गेम खेल रहा है। चीन ताईवान पर हमला किए बिना कब्जा करने का प्लान बना रहा है। ऐसा चीन का सरकारी मीडिया प्रचारित कर रहा है।
China occupation of Taiwan : जब भी कोई देश किसी जगह पर सैन्य कार्रवाई करता है तो उसे एकदम गोपनीय रखता है और किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगती। जबकि चीन अपने ही सरकारी मीडिया से यह प्रचारित करवा रहा है कि वह ताइवान पर हमला किए बिना उस पर कब्जा कर सकता है। इससे साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि चीन माइंड गेम ( Mind Game) खेल रहा है। वरना अपनी टॉप सीक्रेट प्लानिंग कौन बताता है।
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ( Communist party) ताइवान द्वीप पर अपना दावा करती है और उसे देश का हिस्सा कहती रही है। चीन ने भले ही इस द्वीप पर कभी नियंत्रण नहीं किया है, लेकिन स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि अगर यदि आवश्यक हुआ तो वह ताइवान को बलपूर्वक अपने साथ मिलाने में संकोच नहीं करेगा।
जानकारी के अनुसार चीन आने वाले समय में बिना किसी सैन्य कार्रवाई के भी ताइवान को अपने कब्जे में ले सकता है। एक प्रमुख थिंक टैंक ने चेतावनी दी है कि चीन की सेना ताइवान को अलग-थलग करके उसकी अर्थव्यवस्था को पंगु बना सकती है। इस तरह एक भी गोली चलाए बिना ताइवान सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की इच्छा के आगे झुकने पर मजबूर होगा।
वर्षों में हाल ही के चीनी नेता शी जिनपिंग (Xi Jinping) की ताइवान के खिलाफ आक्रामक कार्रवाइयों से यह डर बढ़ गया है कि कम्युनिस्ट पार्टी एक दिन जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक ताइवान पर नियंत्रण करने का अपना वादा पूरा कर सकती है। ऐसे परिदृश्य में विश्लेषकों और सैन्य रणनीतिकारों ने लंबे समय से चीन के लिए उपलब्ध दो प्रमुख विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया है। इसमें एक है पूर्ण पैमाने पर आक्रमण और दूसरा सैन्य नाकाबंदी।
रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन के थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने कहा है कि पूर्ण पैमाने पर आक्रमण और दूसरा सैन्य नाकाबंदी के अलावा चीन के पास एक तीसरा रास्ता है, जिसे अपनाने पर चीन को रोकना भी मुश्किल होगा। यह तीसरा तरीका 'ग्रे जोन' रणनीति है। ग्रे जोन रणनीति को युवॉर एक्ट से नीचे की कार्रवाई माना जा सकता है। इसके तहत चीन तट रक्षक इससे समुद्री मिलिशिया और समुद्री सुरक्षा एजेंसियां ताइवान की नाकेबंदी शुरू कर सकती हैं। ऐसा कर ताइवान के लोगों तक ऊर्जा जैसी महत्वपूर्ण आपूर्ति को पहुंचने से रोक दिया जाएगा।
जो बात एक समय अकल्पनीय थी - संयुक्त राज्य अमरीका और चीन के बीच सीधा संघर्ष - अब राष्ट्रीय सुरक्षा समुदाय में एक आम चर्चा बन गई है, क्योंकि ताइवान और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। दो बड़े संकेतक जो विश्लेषकों के लिए चिंता का कारण हैं। शी जिनपिंग का कहना है कि ताइवान बीजिंग का है और इसे फिर से एकीकृत किया जाएगा और पिछले 20 वर्षों में उनका बड़े पैमाने पर सैन्य निर्माण किया जाएगा।
डब्लूएसजे ने सीएसआईएस के मार्क कैंसियन से बात की, जो संगठन के हालिया युद्धाभ्यास के आधार पर ताइवान जलडमरूमध्य में संभावित युद्ध के नतीजे बताते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस द्वीप पर 1683 में चीन के किंग राजवंश ने कब्जा कर लिया था और 1895 में इसे जापान के साम्राज्य को सौंप दिया था। चीन गणराज्य, जिसने 1912 में किंग को उखाड़ फेंका था, ने 1945 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद नियंत्रण ले लिया।