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अंतरिक्ष में डेटा सेंटर से ग्रीन होगा डिजिटल रेवोल्यूशन, दुनिया को होगा फायदा

अंतरिक्ष में डेटा सेंटर का कॉन्सेप्ट सुनने में भले ही अजीब लगे, पर ऐसा हो सकता है और इससे दुनिया को फायदा भी होगा। कैसे? आइए जानते हैं।

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Oct 24, 2025
Data centers in space (Representational Photo)

दुनियाभर में तेज़ी से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है। आज के इस दौर में सिर्फ धरती पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी तेज़ी से आगे बढ़ रही है और समय के साथ नई-नई खोजें हो रही हैं। इसी बीच दुनिया के बड़े बिज़नेसमैन और एमेज़ॉन (Amazon) के संस्थापक जेफ बेज़ोस (Jeff Bezos) ने एक टेक्नोलॉजी की एक नई कल्पना को आकार दिया है। उन्होंने दावा किया है कि आने वाले 10 से 20 सालों में अंतरिक्ष में गीगावाट-स्तर के डेटा सेंटर बनाए जा सकते हैं।

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अमेरिकी कम्पनियाँ कर रही हैं पहले से काम

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अंतरिक्ष में डेटा सेंटर बनाने के लिए कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा। अंतरिक्ष में किसी डेटा सेंटर को लॉन्च करने की लागत बिलियन डॉलर्स तक जा सकती है। सर्वर-मेंटेनेंस, मरम्मत और सॉफ्टवेयर अपग्रेड जैसी सामान्य प्रक्रियाएं अंतरिक्ष में बेहद कठिन होंगी। इसके अलावा डेटा ट्रांसमिशन में लेटेंसी और संचार बाधाएं भी बड़ी समस्या होंगी। फिर भी यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों के अध्ययन ने इस विचार को संभावनाओं से भरा और पर्यावरण-हितैषी बताया है। कई अमेरिकी कंपनियाँ पहले से ही छोटे प्रोटोटाइप पर काम भी कर रही हैं।

दुनिया को होगा फायदा

अंतरिक्ष में डेटा सेंटर बनने से भविष्य में पृथ्वी-आधारित सर्वरों की ऊर्जा-खपत में भारी कमी आएगी और मानवता के लिए एक ‘ग्रीन डिजिटल रेवोल्यूशन’ की दिशा खुल सकती है। इसमें डेटा, ऊर्जा और अंतरिक्ष एक साथ नई टेक्नोलॉजी लिमिट को पार कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2035 तक डेटा सेंटरों को विश्व की कुल बिजली का लगभग 10% तक हिस्सा चाहिए होगा। इसी संकट से बचने के लिए अंतरिक्ष-आधारित डेटा सेंटर की परिकल्पना की जा रही है। अंतरिक्ष में लगातार 24 घंटे सौर ऊर्जा उपलब्ध रहती है वहाँ मौसमी अवरोध भी नहीं होते। इससे ऊर्जा-उपयोग अधिक कुशल हो सकता है। साथ ही अंतरिक्ष का अत्यधिक ठंडा वातावरण डेटा सर्वरों को ठंडा रखने में मदद कर सकता है, जिससे पानी और बिजली की भी बचत होगी।

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