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H-1B और L-1 वीजा को लेकर आ गया एक और बड़ा अपडेट, ट्रंप प्रशासन के नए कदम से भारत से चीन तक मच जाएगी खलबली!

अमेरिकी सीनेट में 'एच-1बी और एल-1 वीजा रिफोर्म एक्ट, 2023' नामक विधेयक पेश किया गया है। इसका उद्देश्य वीजा कार्यक्रम में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाना है। विधेयक में वेतन और भर्ती मानकों को बढ़ाने, नौकरियों की सार्वजनिक पोस्टिंग और वीजा पात्रता को सीमित करने का प्रस्ताव है

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Oct 01, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (फोटो- IANS)

अमेरिका में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन एच-1 वीजा पर लगातार सख्ती करता जा रहा है। इसी क्रम में अमेरिकी सीनेट के शीर्ष रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सदस्यों ने अब 'एच-1बी और एल-1 वीजा रिफोर्म एक्ट, 2023' नाम से नया विधेयक पेश किया है।

सीनेट ज्यूडिशियरी कमिटी के अध्यक्ष और आयोवा के रिपब्लिकन चक ग्रासले और इलिनॉय के डेमोक्रेट डिक डर्बिन ने कहा है कि यह विधेयक एच-1बी और एल-1 के लिए वेतन और भर्ती मानकों को बढ़ाएगा, नौकरियों की उपलब्धता की सार्वजनिक पोस्टिंग को अनिवार्य करेगा और वीजा पात्रता को सीमित करेगा।

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एच-1बी के साथ एल-1 वीजा पर बढ़ी निगरानी

गौरतलब है कि एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा उपयोग अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में कुशल कामगारों को भर्ती करने के लिए किया जाता है और उसका सबसे ज्यादा फायदा भारत और चीन के पेशेवर उठाते आए हैं।

वहीं, एल-1 वीजा मल्टीनेशनल कंपनियों को विदेशी कार्यालयों से कर्मचारियों को अमेरिका स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। विधेयक में इन दोनों वीजा पर सख्ती बढ़ा दी गई है।

कार्यक्रमों को ईमानदार बनाने और कर्मियों की गरिमा लौटाने का वक्त

ग्रासले और डर्बिन ने कहा कि मौजूदा प्रणाली का कई नियोक्ताओं द्वारा दुरुपयोग किया गया है। ग्रासले ने कहा, कांग्रेस ने एच-1बी और एल-1 वीजा प्रोग्राम्स ऐसी स्थितियों के लिए बनाए थे जब घरेलू स्तर पर प्रतिभा उपलब्ध न हो। लेकिन वर्षों में कई नियोक्ताओं ने अमेरिकी कर्मचारियों को हाशिए पर डालकर सस्ती विदेशी श्रम का उपयोग किया।

अब कांग्रेस को इन कार्यक्रमों में ईमानदारी लौटाने और अमेरिकी और विदेशी कर्मचारियों की गरिमा बनाए रखने की जरूरत है। डर्बिन ने कहा कि घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर नौकरियों में कटौती और विदेशी श्रमिकों के प्रति वीजा दुरुपयोग जुड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा, कई बड़ी कंपनियां हजारों अमेरिकी कर्मचारियों को निकाल रही हैं, जबकि विदेशी कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा आवेदन जमा कर रही हैं।

बिल में कई सख्त प्रावधान, एनफोर्समेंट कर्मियों की भर्ती बढ़ेगी

  • एच-1बी और एल-1 वेतन और भर्ती मानकों को बढ़ाना
  • अमेरिकी श्रमिकों और निकाले गए एच-1बी धारकों के लिए पब्लिक डोमेन में सर्चेबल प्लेटफार्म पर नौकरियों की उपलब्धता की पोस्टिंग अनिवार्य करना
  • एच-1 वीजा के लिए श्रम विभाग नियोक्ताओं से शुल्क लेगा और इससे 200 नए एनफोर्समेंट कर्मियों की भर्ती की जाएगी।
  • उच्च शिक्षा प्राप्त स्टेम (विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र) कर्मचारियों को वीजा प्राथमिकता देना
  • 'स्पेशियलटी ऑक्यूपेशन' की परिभाषा को कड़ा करते हुए न्यूनतम बैचलर डिग्री अनिवार्य
  • नई कंपनियों के लिए एल-1 आवेदन पर प्रतिबंध
  • नियमों का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं के लिए जुर्माना या भविष्य के आवेदन पर रोक

कंपनियों आउटसोर्सिंग की तैयारी में, ट्रंप प्रशासन भी नए हायर बिल के साथ तैयार

एच-1बी वीज़ा फीस में भारी बढ़ोतरी के बाद अब अमेरिकी कंपनियां अपने ऑफशोरिंग ऑपरेशंस यानी विदेशी परिचालन के लिए भारत की ओर तेज़ी से रुख कर रही हैं और भारत में स्थित ग्लोबल कैपिसिटी सेंटर्स (जीसीसी) का फायदा उठा रही हैं।

डेलॉइट इंडिया के पार्टनर और जीसीसी इंडस्ट्री के लीडर रोहन लोबो ने कहा है कि कई अमरीकी कंपनियां पहले से ही अपने वर्कफोर्स की जरूरतों का फिर से आकलन कर रही हैं और इनको भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रही हैं।

गौरतलब है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी भारत में 1,700 जीसीसी हैं, जो वैश्विक संख्या का आधे से ज्यादा हैं।

दूसरी तरफ ट्रंप प्रशासन भी इस पर लगाम कसने के लिए संसद में नया हायर विधेयक लेकर आया है, जिसमें अमरीकी संस्थाओं द्वारा विदेशी सर्विस प्रोवाइडर्स को किए गए भुगतान पर 25% उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है।

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