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अचानक इस देश पर तमतमा उठे ट्रंप, बोले- तुरंत इसको नाटो से बाहर निकालकर फेंको, पता लगाना होगा कि…

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नाटो सदस्य देश को संगठन से बाहर निकालने की सलाह दी है, जो रक्षा खर्च में वृद्धि नहीं कर रहा है। ट्रंप का गुस्सा स्पेन पर है।

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Oct 10, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- एएनआई)

नाटो देशों के बीच रक्षा खर्च को लेकर तनाव जारी है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा एक नाटो के सदस्य देश पर फूट पड़ा है।

उन्होंने उस देश को नाटो से बाहर निकालने तक की सलाह दे दी है। ट्रंप का कहना है कि रक्षा खर्च में वृद्धि नहीं करने के कारण उसे नाटो से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए।

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बता दें कि ट्रंप ने स्पेन को नाटो से बाहर निकालने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसा न करने का कोई बहाना नहीं है।

ट्रंप ने फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब के साथ व्हाइट हाउस में एक बैठक के दौरान कहा कि हमारे पास एक पिछड़ा हुआ देश है, उसका नाम स्पेन है। उसे अब नाटो से बाहर निकाल देना चाहिए।

यह पता लगाना होगा कि वे पिछड़ क्यों रहे- ट्रंप

ट्रंप ने आगे कहा कि स्पेन से बात करनी होगी, यह पता लगाना होगा कि वे पिछड़ क्यों रहे हैं। शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के दबाव में, नाटो के सदस्य देश जून में 2035 तक अपने सैन्य खर्च को जीडीपी के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

इस बीच, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने इस लक्ष्य को अस्वीकार कर दिया है। इसे उनके देश की अर्व्यवस्था के लिए गलत ठहराया है। सांचेज ने जोर देकर कहा है कि उनके देश को इस प्रमुख आंकड़े तक पहुंचने की जरूरत नहीं है। स्पेन रक्षा पर सबसे कम खर्च करने वाले नाटो देशों में से एक रहा है।

रूस पर दबाव डालने की भी बात कह रहे ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने स्पेन को जीडीपी के पांच प्रतिशत के नए प्रस्तावित लक्ष्य का विरोध करने पर व्यापार संबंधी प्रतिकूल प्रभावों की भी चेतावनी दे डाली है।

ट्रंप ने नाटो देशों से आग्रह किया है कि वे अपने रक्षा खर्च में वृद्धि करें और रूस पर अधिक दबाव डालें। उनका कहना है कि नाटो देशों को अपनी रक्षा पर अधिक खर्च करना चाहिए और अमेरिका पर निर्भरता कम करनी चाहिए।

लंबे समय से चल रहा तनाव

नाटो देशों के बीच रक्षा खर्च को लेकर लंबे समय से तनाव है, और ट्रंप के बयान ने इस मुद्दे पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है। नाटो देशों ने अपने रक्षा खर्च में वृद्धि करने का वादा किया है, लेकिन अभी भी कई देश नाटो के लक्ष्य से पीछे हैं।

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