Working Hours in USA: एलन मस्क ने 80 घंटे का काम का जो प्रस्ताव दिया है उसकी चर्चा अब पूरी दुनिया में हो रही है। क्योंकि भारत में इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के युवाओं से 70 घंटे काम के सुझाव पर बवाल मच गया था।
Working Hours in USA: अमेरिका में निजाम बदलने के साथ-साथ काफी कुछ बदलता दिख रहा है। निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 'अमेरिका को फिर से महान बनाने' के अपने चुनावी वादे को अमलीजामा पहनाने के लिए जिस नए विभाग का गठन किया है उसमें भर्ती की शर्तों ने दुनिया का ध्यान खींचा है। डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंशी (DOGI) के प्रमुख एलन मस्क (Elon Musk) ने अपने स्वामित्त्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भर्ती का अनोखा विज्ञापन निकाला। भर्ती की शर्तों में शिक्षा या अनुभव नहीं, सुपर हाई आइक्यू लेवल और सप्ताह में 80 घंटों से ज्यादा काम करने की योग्यता रखी गई है। इसके साथ ही फिजूलखर्जी पर लगाम लगाने की इच्छा भी पात्रता की शर्तों में शामिल है।
अब DOGI की भर्ती शर्तों पर दुनियाभर में प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। भारत में एकबार फिर यह मुद्दा इसलिए चर्चा में आ गया कि कुछ दिन पहले ही आइटी कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने यह कहकर विवाद को आमंत्रित कर लिया था कि भारत को विकसित बनाने के लिए युवाओं को सप्ताह में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए। देश में काम के घंटों को लेकर हमेशा विवाद रहा है। सप्ताह में 48 घंटे की निर्धारित अवधि को बढ़ाने की कोशिशों का श्रम संगठनों के साथ-साथ मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े लोग भी विरोध करते रहे हैंं। ज्यादा काम लेना शोषण का पर्याय है। भारत में प्रस्तावित नए श्रम कानून में सप्ताह में चार दिन काम करने का भी विकल्प दिया गया है। हालांकि ऐसा करने के लिए प्रतिदिन 12 घंटे काम करना होगा, ताकि कुल कामकाजी समय 48 घंटे रहे।
नारायणमूर्ति ने शुक्रवार को बेंगलूरु के एक कार्यक्रम में सप्ताह में 70 घंटे से ज्यादा काम वाली बात पर कायम रहने का संकल्प दोहराया और कहा, माफ करना, मेरा विचार बदला नहीं है। यह विचार मरते दम तक मेरे साथ रहेगा। कठिन मेहनत ही भारत को विकास की राह पर ले जाएगी। उन्होंने कहा, 1986 में जब भारत छह दिन से पांच दिन के सप्ताह पर शिफ्ट हुआ तो मुझे बहुत दुख हुआ था। देश को विकसित करना है तो आराम नहीं, त्याग करना होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जिक्र किया और कहा कि वह सप्ताह में 100 घंटे काम करते हैं। अगर वह इतनी मेहनत कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? हमें भी काम करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि कैसे देश को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान ने ग्रोथ की और फिर से अमीर देश बन गए। हमें इनसे सीख लेनी चाहिए। हमें वैसे ही प्रयास करने होंगे, जैसे जर्मनी और जापान के लोगों ने किए।
1- अमेरिका में बनाए गए DOGE की जिम्मेदारी उद्योगपति एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को देने की घोषणा को सरकारी कामकाज में निजी क्षेत्र के महारथियों की भूमिका बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।
2- नारायणमूर्ति ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवाओं में व्यापक सुधार के लिए UPSC परीक्षा पर निर्भर रहने के बजाय प्रबंधन स्कूलों से सिविल सेवा अधिकारियों के चयन पर विचार कर सकते हैं।
3- नारायणमूर्ति ने कहा कि इस बात पर गौर किया जा सकता है कि सरकार में क्या हमें यथास्थिति पर जोर देने वाले प्रशासकों के बजाय ज्यादा कुशल प्रबंधकों की जरूरत नहीं है?
4- नारायणमूर्ति ने निजी क्षेत्र में सेवारत बुद्धिजीवियों को कैबिनेट मंत्री के स्तर के बराबर समितियों के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का भी सुझाव दिया। मस्क-रामास्वामी की जोड़ी भी अमरीका में ऐसा ही कुछ करने वाली है।
1- ट्रंप सरकार में निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका से हितों के टकराव की आशंका बढ़ गई है। माना जा रहा है कि क्रिप्टोकरंसी लॉबी ने ट्रंप को जिताने में दिन-रात एक कर दी। अब यह लॉबी फायदा उठा सकती है।
2- DOGE के मुखिया एलन मस्क ने भर्ती का विज्ञापन अपने स्वामित्त्व वाले X पर साझा किया और एक्स पर ही आवेदन मांगा है। इसके लिए एक्स की प्रीमियम सदस्यता लेना अनिवार्य होगा, जिसका शुल्क आठ डॉलर प्रति माह है।
3- एक्स पर DOGE का खाता खोले जाने के बाद से इसके 12 लाख फॉलोअर बन गए हैं। जाहिर है, इसका सीधा आर्थिक फायदा निजी कंपनी को होगा। कुल आवेदनों में से एक फीसदी आवेदन की समीक्षा मस्क और रामास्वामी खुद करेंगे।