एलन मस्क (Elon Musk) के बाद अमरीका ने भारत की UNSC में स्थाई सदस्य़ता के लिए समर्थन दिया है। लेकिन बात यहां ये है कि अमरीका समेत पश्चिमी देशों के समर्थन के बावजूद आखिर ऐसी कौन सी बाधा है जो भारत को UNSC का स्थाई सदस्य बनने से रोक रही है।
दुनिया के बिजनेस टाइकून एलन मस्क के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में भारत के लिए स्थाई सीट का समर्थन करने के बाद अब अमरीका (USA) का भी बयान आया है। अमरीका का कहना है कि उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र संस्थानों में सुधार के लिए समर्थन की पेशकश की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में ये बयान दिया। लेकिन सवाल यहां पर ये है कि अमरीका समेत पश्चिमी देशों के समर्थन के बावजूद आखिर क्या कारण है कि अब तक भारत को UNSC में स्थाई सीट नहीं मिल पाई है?
1945 में संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की स्थापना के बाद से ही भारत एक सक्रिय भागीदार रहा है। संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत ने लगातार संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों और उद्देश्यों का समर्थन किया है। भारत ने लगातार वैश्विक शांति-सुरक्षा और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने जैसे उद्देश्यों के लिए काम किया है।
2021 तक भारत ने संयुक्त राष्ट्र में 200,000 से ज्यादा शांति सैनिकों का योगदान दिया है, जिससे भारत विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र में सबसे बड़े सैन्य योगदान देने वाले देशों में से एक बन गया है। भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में सहयोग किया है। इसके अलावा भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में भी एक अहम भूमिका निभाई है। ये सारे तथ्य बताते हैं कि भारत UNSC में एक स्थाई सीट पाने के लिए सारी योग्यता रखता है फिर भी उसे यहां पर स्थाई सीट क्यों नहीं मिली।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत को UNSC में चीन (China) के वीटो का सामना करना पड़ता है। जब-जब भारत की स्थाई सदस्यता की बात आती है चीन अपने वीटो के अधिकार का इस्तेमाल करता है। ऐसे में भारत इस सीट को पाने की रेस से पीछे छूट जाता है। बता दें कि पहले चीन के अलावा फ्रांस, अमरीकी, रूस, यूके भी वीटो लगा देते थे हालांकि अब चीन को छोड़कर ये देश भारत के समर्थन में आ गए हैं।
दूसरी बात ये है कि नए देशों को स्थायी सदस्य बनने में समर्थन देने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर नियमों को फिर से लिखने की जरूरत होगी। ये एक बेहद लंबी प्रक्रिया है जिसमें स्थाई सीट मिलने में देरी होती है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने पहले ही 2028-29 कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है।
चीन (China) नहीं चाहता है कि उसका पड़ोसी देश UNSC का स्थाई सदस्य बने और इसे रोकने के लिए वो तर्क देता है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर साइन नहीं किए हैं। इसके अलावा परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि पर भी उसने हामी नहीं भरी है तो उसे कैसे UNSC में जगह दें। बता दें कि UNSC में जो वर्तमान में जो 5 स्थाई सदस्य देश हैं। उन सभी के पास वीटो पॉवर है जो किसी नए देश को शामिल करने या ना करने की सबसे अहम शक्ति होती है। इनमें से अगर कोई एक भी देश भी वीटो लगाता है तो नया देश स्थाई सदस्यता से बाहर हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC के स्थायी सदस्य पांच देश हैं। इन सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र का 1945 का चार्टर स्थायी सीट देता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका स्थायी सदस्य हैं।ये सदस्य दूसरे विश्व युद्ध में सहयोगी थे और उस युद्ध के विजेता भी। ये सारे देश सबसे पहले और सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों वाले पांच देश भी हैं।