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PoK में अभिव्यक्ति की आज़ादी एक झूठा सपना, सच्चाई है दबाव और डर, रिपोर्ट में खुलासा

Expression Freedom Pakistan Occupied Kashmir: पाक अधिकृत कश्मीर में अभिव्यक्ति की आज़ादी केवल एक भ्रम है, जहां आवाज़ उठाने वालों को जेल और धमकियों का सामना करना पड़ता है।

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Aug 22, 2025
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्रदर्शन करते नागरिक। (फोटो: IANS.)

Expression Freedom Pakistan Occupied Kashmir: पाकिस्तान समानता और न्याय का जो दावा करता है, वह केवल एक झूठ, दिखावा और बेबुनियाद है। वहां सचमुच आज़ादी की जगह डर, उत्पीड़न और सख्ती का माहौल है। असहमति जताने वालों को जेलों में डाला जाता है और पाकिस्तान सरकार उनका साथ देने के बजाय कट्टरपंथियों के दबाव में आ जाती है। इसलिए पीओके (Expression freedom POK) में आज़ादी का मतलब केवल एक खतरनाक भ्रम बन कर रह गया है। सच यह है कि वहां की (Pakistan censorship Kashmir) आवाज़ दबाई जा रही है, और जो इसे उठाते हैं, उन्हें खामोश करने की पूरी कोशिश होती है।

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असमा बतूल का उदाहरण

हाल ही में युवा ब्लॉगर और कवयित्री असमा बतूल की कहानी इस बात का ज्वलंत उदाहरण बनी। उन्होंने अपनी कविताओं में महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण पर बात की। लेकिन उनकी बातें लोगों के दिलों में आग लगा गईं। स्थानीय धार्मिक नेताओं ने उनकी कविता को ईशनिंदा कहा और उन्होंने असमा को गिरफ्तार करवा दिया। भीड़ ने उनका घर भी घेर लिया, लेकिन सरकार ने उनकी सुरक्षा के बजाय कट्टरपंथियों के दबाव में आकर उन्हें अकेला छोड़ दिया।

असहमति की आवाज़ दबाने का चलन

पीओके में असहमति की आवाज़ दबाना नया नहीं है। नीलम घाटी में पत्रकार हयात अवान और सामाजिक कार्यकर्ता वासी ख्वाजा व अजहर मुगल को केवल इसलिए जेल में डाल दिया गया क्योंकि उन्होंने सेना द्वारा लड़कियों के लिए चलाए जा रहे हथियार प्रशिक्षण पर सवाल उठाए। सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर भी उन्हें सजा दी गई।

सेना पर सवाल करना मना है

सेना या उसकी गतिविधियों पर सवाल उठाना यहां पूरी तरह से प्रतिबंधित है। स्थानीय प्रेस क्लबों ने उनके रिहाई की मांग की, पर प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। यह साफ करता है कि पाकिस्तान की सत्ता पर किसी भी तरह की चुनौती स्वीकार नहीं की जाती।

प्रेस की स्वतंत्रता की गिरती रैंकिंग

अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्ट बताती हैं कि पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता तेजी से घट रही है। 2025 में पाकिस्तान 180 देशों की सूची में 158वें नंबर पर आ गया है, जो बेहद खराब स्थिति दर्शाता है। यहां डर, धमकी और मनमाने तरीके से गिरफ्तारियां आम बात हो गई हैं।

दबाव और भय का माहौल

पत्रकारों और सोशल एक्टिविस्ट्स पर राज्य और गैर-राज्य दोनों तरह के दबाव होते हैं। वे बिना किसी डर के अपनी बात रखने में असमर्थ हैं। यही कारण है कि पीओके के लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी को एक “खतरे भरे भ्रम” के रूप में देखते हैं।

पाकिस्तान का विरोधाभास

पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दूसरों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाता है, लेकिन अपने ही अंदर खासकर पीओके में सच बहुत अलग है। यहां के लोगों के लिए उनकी आवाज़ उठाना एक जोखिम बन गया है।

पाक अधिकृत कश्मीर के बारे में दावा झूठा

बहरहाल पाक अधिकृत कश्मीर में अभिव्यक्ति की आज़ादी का जो दावा पाकिस्तान करता है, वह केवल एक दिखावा है। वहां सचमुच आज़ादी की जगह डर, उत्पीड़न और सख्ती का माहौल है। असहमति जताने वालों को जेलों में डाला जाता है और सरकार उनका साथ देने की बजाय कट्टरपंथियों के दबाव में आ जाती है। इसलिए पीओके में आज़ादी का मतलब केवल एक खतरनाक भ्रम बन कर रह गया है।

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