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हमास की सख्त शर्तें: कैदियों की अदला-बदली के बदले पूरा सीजफायर, भारत का दो-राज्य समाधान पर जोर

Hamas conditions Gaza ceasefire: हमास ने गाजा कैदी विनिमय के लिए पूर्ण युद्धविराम और सेना वापसी की शर्तें रखी हैं और मिस्र में वार्ताएं शुरू हो गई हैं।

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Oct 06, 2025
हमास बंधकों को छोड़ने के लिए शर्त रखी है। (फोटो: ANI)

Hamas conditions Gaza ceasefire: गाजा में चल रहा संघर्ष खत्म करने की कोशिशों में नया ट्विस्ट आ गया है। हमास ने अमेरिका की प्रस्तावित 20-सूत्री योजना के तहत कैदी विनिमय के लिए सख्त शर्तें रख दी (Hamas conditions Gaza ceasefire) हैं। इनमें पूर्ण युद्धविराम और इजरायली सेना की वापसी प्रमुख हैं। मिस्र में 6 अक्टूबर से अप्रत्यक्ष वार्ताएं शुरू हो रही हैं, जहां बंधकों की रिहाई (Prisoner exchange Israel Hamas) और मानवीय सहायता पर फोकस होगा। भारत ने हमेशा की तरह दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है और तत्काल सीजफायर की मांग की है। आइए इसे समझते हैं। हमास ने कैदी विनिमय के लिए कुछ साफ शर्तें रखी हैं। सबसे पहले, पूर्ण युद्धविराम का सख्त पालन होना चाहिए। जनवरी 2025 के पुराने समझौते के मुताबिक, इजरायली सेना को गाजा के घनी आबादी वाले इलाकों से पीछे हटना होगा। इसके अलावा, इजरायली वायुसेना को रोजाना कम से कम 10 घंटे तक ड्रोन और लड़ाकू विमानों की उड़ानें रोकनी होंगी। बंधकों की रिहाई वाले दिन यह समय 12 घंटे तक बढ़ सकता है। हमास सूत्रों का कहना है कि ये उपाय वार्ता पूरी होने तक लागू रहने चाहिए, जो एक हफ्ते या इससे ज़्यादा चल सकती है।

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मिस्र में वार्ताओं का एजेंडा: चरणबद्ध समझौता

अमेरिका की 20-सूत्री योजना के तहत मिस्र में अप्रत्यक्ष बातचीत शुरू हो रही है। इसमें पहले चरण में 33 इजरायली बंधकों की रिहाई होगी, बदले में सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदी छूटेंगे। योजना तीन चरणों में बंटी है: पहला छह हफ्तों का सीजफायर, दूसरा स्थायी शांति और तीसरा गाजा का पुनर्निर्माण। हमास ने कुछ बिंदुओं पर सहमति जताई है, जैसे सभी बंधकों की रिहाई और इजरायली सेना की वापसी, लेकिन हथियार डालने और सत्ता सौंपने पर बहस जारी है। इजरायल ने योजना को स्वीकार किया है, लेकिन हमास के सैन्य नेता ने आपत्ति जताई है।

ट्रंप की भूमिका: हमास को चेतावनी, लेकिन उम्मीद बरकरार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने योजना को आगे बढ़ाया है। उन्होंने हमास को चेतावनी दी कि अगर शर्तें मानीं तो शांति, वरना 'पूर्ण विनाश'। ट्रंप का कहना है कि इजरायल बमबारी रोकेगा और बंधक रिहाई 72 घंटों में हो जाएगी। लेकिन हमास ने कहा कि बाकी मुद्दे, जैसे सैन्य विघटन, पर और बात होनी चाहिए। मध्यस्थ कतर और मिस्र इन वार्ताओं को सुचारू बनाने में लगे हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उम्मीदें

यह खबर मध्य पूर्व में शांति की नई उम्मीद जगाती है। इजरायल में बंधकों के परिवारों ने स्वागत किया, लेकिन फिलिस्तीनियों को चिंता है कि योजना इजरायली कब्जे को मजबूत करेगी। यूएन ने सभी पक्षों से सहयोग की अपील की। अरब देशों ने ट्रंप के प्रयासों का समर्थन किया, लेकिन हमास के सैन्य विंग ने योजना को 'हमास को खत्म करने की साजिश' बताया। गाजा में 67,000 से ज्यादा मौतों के बाद यह वार्ता राहत की सांस है।

हमास-इजरायल संघर्ष की समयरेखा

यह वार्ता जनवरी 2025 के सीजफायर के बाद की है, जो मार्च में टूट गया था। तब आठ दौर के विनिमय हुए, लेकिन दूसरे चरण पर सहमति न बनी। अक्टूबर 2023 के हमले के बाद से 1,200 इजरायली मारे गए, और गाजा में लाखों विस्थापित हुए। ट्रंप की योजना जनवरी समझौते पर आधारित है, लेकिन हमास ने संशोधन मांगे हैं। अगर पहला चरण सफल रहा, तो 13 अक्टूबर तक सभी बंधक रिहा हो सकते हैं।

भारत का रुख - संतुलित कूटनीति

बहरहाल भारत ने गाजा सीजफायर पर स्पष्ट रुख अपनाया है। यूएनएससी में भारत ने कहा कि तत्काल युद्धविराम जरूरी है, साथ ही सभी बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता अनिवार्य। भारत दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच सीधी बातचीत की वकालत करता है। जुलाई 2025 में यूएन में भारत ने सीजफायर प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन जून में एक प्रस्ताव पर मतदान से किनारा किया। भारत ने हमास के 7 अक्टूबर हमले की निंदा की, लेकिन गाजा संकट को 'अस्वीकार्य' बताया। दरअसल मध्य पूर्व से 60% तेल आयात होने से भारत के लिए स्थिरता महत्वपूर्ण है।

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