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Donald Trump के टैरिफ को मात देने की होड़ में चीन ने कैसे चौंकाया, जान कर हैरान रह जाएंगे

US-China Trade : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने से पहले अमेरिकी खरीदार 10 से 60 प्रतिशत के बीच टैरिफ लगाने की धमकी के साथ चीनी सामानों का भंडारण करने के लिए दौड़ पड़े।

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Jan 13, 2025
An American expert has advised Trump to distance himself from China. (ANI)

US-China Trade: अमेरिका के व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के तहत भविष्य में टैरिफ (Tariff policy) की आशंकाओं के जवाब में, अमेरिकी खरीदारों ने चीनी सामान के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे चीन के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। ट्रंप की ओर से चीनी उत्पादों पर 10 से 60 प्रतिशत के बीच टैरिफ लगाने की धमकी के साथ, व्यवसायों ने इन टैरिफ के परिणामस्वरूप होने वाली उच्च लागत की प्रत्याशा में माल का भंडारण करने (Stockpiling) की मांग की है। इधर इन्वेंट्री को सुरक्षित करने की इस हड़बड़ी ने चीन के निर्यात आंकड़ों (Export growth) को अभूतपूर्व स्तर तक पहुंचाने में मदद की। प्रस्तावित टैरिफ के संभावित वित्तीय प्रभाव कम करने के लिए इस प्रकार का प्रीमेप्टिव क्रय व्यवहार एक रणनीतिक (Business strategy)कदम है।

दरअसल डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के बाद चीनी सामानों पर 10 से 60 प्रतिशत तक के संभावित टैरिफ लगाने की धमकी के मद्देनजर, अमेरिकी खरीदारों ने चीनी उत्पादों का बड़े पैमाने पर भंडारण करना शुरू कर दिया है। यह कदम व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य में इन टैरिफ के लागू होने से आयातित चीनी सामानों की लागत में भारी वृद्धि हो सकती थी। इसके परिणामस्वरूप, 2025 की शुरुआत में चीन के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।

टैरिफ की धमकी और उसका प्रभाव

मामला यह है कि डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने की संभावना के कारण, उन्होंने चीनी सामानों पर 10 से 60 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने की धमकी दी गई है। इससे अमेरिकी व्यापारियों को चिंता होने लगी है कि इन टैरिफ के लागू होने पर चीनी उत्पादों की कीमतें बहुत बढ़ जाएंगी।

अमेरिकी खरीदारों की प्रतिक्रिया

असल में अमेरिकी कंपनियों और व्यापारियों ने इन संभावित टैरिफ से बचने के लिए चीनी सामानों का भंडारण करना शुरू कर दिया। इस तरह का भंडारण व्यापारिक रणनीति का हिस्सा था, ताकि भविष्य में कीमतों में वृद्धि से बचा जा सके और माल की आपूर्ति में कोई रुकावट न आए।

चीनी निर्यात में वृद्धि का मतलब

अमेरिकी खरीदारों की इस हड़बड़ी के कारण, 2025 की शुरुआत में चीन का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। यह रिकॉर्ड वृद्धि चीन के व्यापारियों के लिए लाभकारी साबित हुई क्योंकि बड़े पैमाने पर माल की मांग बढ़ी।

प्री-एम्प्टिव क्रय व्यवहार

अमेरिकी व्यापारियों ने भविष्य में टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए प्री-एम्प्टिव (पूर्व-निर्धारित) खरीदारी की। इसका मतलब था कि वे पहले ही माल खरीदकर उसे स्टोर कर रहे थे, ताकि बाद में बढ़ी हुई लागत से बचा जा सके।

स्टॉकपाइलिंग का उद्देश्य

व्यापारियों का उद्देश्य था कि वे भविष्य में उच्च टैरिफ से प्रभावित हुए बिना अपने व्यापारिक संचालन को सुचारू रूप से चलाते रहें। इस तरह से स्टॉकपाइलिंग करने से वे आने वाले समय में संभावित टैरिफ की लागत में वृद्धि से बच सकते थे।

चीनी निर्यात का आर्थिक प्रभाव

निर्यात में हुई इस रिकॉर्ड वृद्धि से चीन की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला, क्योंकि चीन के व्यापारिक क्षेत्र को एक बड़ा आय का स्रोत प्राप्त हुआ।

टैरिफ नीति के परिणाम

यह पूरी स्थिति एक संकेत है कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के दौरान व्यापारिक नीति और टैरिफ की धमकियों का बड़ा असर पड़ता है। अमेरिकी व्यापारी, जिनके लिए सस्ते चीनी सामान महत्वपूर्ण हैं, उन्होंने इन धमकियों से बचने के लिए जल्दी-जल्दी माल की खरीदारी की।

अमेरिकी खरीदारों का चीन से आयात बढ़ाने का निर्णय

बहरहाल यह वृद्धि मुख्य रूप से अमेरिकी कंपनियों द्वारा चीनी उत्पादों की स्टॉकिंग के कारण हुई, ताकि आने वाले समय में बढ़ी हुई लागत से बचा जा सके। इन्वेंट्री को पहले ही सुरक्षित करने की हड़बड़ी ने चीन के निर्यात आंकड़ों को ऐतिहासिक ऊंचाई तक पहुंचा दिया। इस तरह की रणनीति व्यापारियों के लिए भविष्य में वित्तीय जोखिमों को कम करने का एक प्रयास है, ताकि वे संभावित टैरिफ के प्रभाव से बच सकें और अपनी आपूर्ति श्रृंखला में कोई व्यवधान न आने पाए। इस प्रक्रिया से यह भी स्पष्ट हुआ कि अमेरिकी खरीदारों का चीन से आयात बढ़ाने का निर्णय, सीधे तौर पर ट्रम्प प्रशासन की टैरिफ नीति से प्रेरित था, जो दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में तनाव को बढ़ा सकता है।

Updated on:
13 Jan 2025 06:41 pm
Published on:
13 Jan 2025 06:40 pm
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