India Taking Advantage Of Russia-Ukraine War?: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 3 साल से ज़्यादा समय से युद्ध चल रहा है। इस युद्ध की वजह से दोनों देशों को जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। लेकिन इसी बीच एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके अनुसार भारत इस युद्ध का 'फायदा' उठा रहा है। कैसे? आइए जानते हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को तीन साल से ज़्यादा समय बीत चुका है और अभी भी दोनों देशों के बीच जंग जारी है। 24 फरवरी, 2022 को यह युद्ध शुरू हुआ था और इसके जल्द खत्म होने की संभावना नज़र नहीं आ रही है। इस युद्ध की वजह से अब तक भीषण तबाही मची है। दूसरे विश्व युद्ध (World War II) के बाद से अब तक का यह सबसे बड़ा युद्ध है। यूक्रेन में इस युद्ध की वजह से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। कई शहर तबाह हो गए हैं। रूसी सेना ने भी युद्ध में कई सैनिक गंवा दिए हैं। ऐसे में दोनों देशों को ही इस युद्ध की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन इस युद्ध का भारत (India) ने 'फायदा' उठाया है। पढ़कर मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि भारत ने ऐसा कैसे किया? हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
दुनिया के कई देश हथियार खरीदने के लिए रूस पर निर्भर हैं। खुद भारत भी रूस से बड़ी मात्रा में हथियार खरीदता है। लेकिन पिछले तीन साल से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहे रूस को खुद भी हथियारों की काफी ज़रूरत है। ऐसे में रूस पर हथियारों की खरीद के लिए निर्भर रहने वाले देश इसके लिए अन्य ऑप्शन का रुख कर रहे हैं और भारत उन्हें वो ऑप्शन दे भी रहा है। भारत कई देशों को उनसे हथियार खरीदने के लिए सस्ते और लंबी अवधि के कर्ज़ दे रहा है। रिपोर्ट के अनुसार भारत एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक (EXIM Bank) के ज़रिए कई देशों को हथियार खरीदने के लिए कर्ज़ दे रहा है। इसका फायदा उन देशों को मिलेगा जो राजनीतिक अस्थिरता, कमज़ोर अर्थव्यवस्था या कम क्रेडिट रेटिंग की वजह से महंगे कर्ज़ लेने में सक्षम नहीं हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार भारत ने करीब 20 देशों में अपने डिप्लोमैट भेजे हैं। इनमें ब्राज़ील, अर्जेंटीना, अल्जीरिया, मोरक्को, कंबोडिया, गुयाना, तंजानिया, इथियोपिया जैसे देश हैं। इन देशों में अपने डिप्लोमैट भेजकर भारत वहाँ पर हथियारों की ज़रूरत को देखते हुए भारत के निर्यात को बढ़ावा देने पर काम करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2023-24 में करीब 1.27 लाख करोड़ के हथियार बनाए। यह आंकड़ा वहीं 2019-2020 की तुलना में 62% ज्यादा है। भारत का लक्ष्य 2029 तक रक्षा निर्यात को करीब 50 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंचाने का है। भारत में छोटे हथियारों का प्रोडक्शन तो लंबे समय से हो रहा है, लेकिन पिछले कुछ साल में भारत की कुछ प्राइवेट कंपनियों ने एडवांस हथियार बनाने भी शुरू कर दिए हैं। इसका फायदा न सिर्फ देश के लिए मिल रहा है, बल्कि दूसरे देशों को निर्यात करने के लिए भी मिल रहा है।
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रूस, जो हथियार बाज़ार में काफी मज़बूत है, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की वजह से व्यस्त है। अब भारत भी कर्ज़ देकर हथियार बेचने लगा है और रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत को इस तरह से 'फायदा' मिल रहा है कि रूस से हथियार खरीदने वाले कई देश अब भारत का रुख करने लगे हैं। कई यूरोपीय देश हथियार खरीदने के लिए भारी-भरकम कर्ज़ देते हैं। ऐसे में भारत का सस्ता कर्ज़ कई देशों के लिए अच्छा ऑप्शन है। ऐसा करते हुए भारत, हथियार बाजार में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा है। ऐसा करने से भारत का निर्यात तो बढ़ेगा ही, भारतीय कंपनियों का हथियार प्रोडक्शन भी बढ़ेगा। इससे रोजगार के अवसरों में भी इजाफा हो सकता है और देश की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती मिलेगी। इतना ही नहीं, एडवांस हथियारों के भारत में ही प्रोडक्शन से देश की दूसरे देशों से हथियार खरीदने की निर्भरता भी कम होगी।
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