ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने साफ कर दिया है कि उनका देश, अमेरिकी धमकियों के आगे झुकेगा नहीं।
ईरान (Iran) अभी भी अपने परमाणु प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए तैयार है। वहीं अमेरिका (United States Of America) नहीं चाहता कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाए। अमेरिका के साथ इज़रायल (Israel) और वेस्ट भी ईरान के परमाणु प्रोग्राम के खिलाफ हैं। 13-24 जून तक इज़रायल और ईरान के बीच चले युद्ध के दौरान इज़रायली सेना ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर बमबारी करने के साथ ही ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों और सेना के कई मुख्य अधिकारियों को भी मार गिराया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के आदेश पर अमेरिकी एयरफोर्स ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की। युद्ध खत्म होने के बाद ट्रंप ने इस बात का दावा भी किया कि ईरान के परमाणु ठिकाने पूरी तरफ से तबाह हो गए, पर ईरान ने ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया था। अमेरिका इस मामले में अभी भी ईरान से बातचीत करके उसे रोकना चाहता है, लेकिन अब ईरान के सुप्रीम लीडर ने एक बड़ा बयान दे दिया है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई (Ali Khamenei) ने मंगलवार को देश को दिए संबोधन में अमेरिका के साथ ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर प्रत्यक्ष बातचीत की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया। खामेनेई ने साफ कर दिया कि अमेरिका की धमकियों से डरकर ईरान अपने परमाणु प्रोग्राम पर समझौता नहीं करेगा।
खामेनेई ने कहा कि अमेरिका ने पहले से ही तय कर लिया है कि ईरान में यूरेनियम संवर्धन बंद होना चाहिए, जिससे परमाणु प्रोग्राम भी बंद हो जाए। ईरानी सुप्रीम लीडर ने इसे बातचीत नहीं बल्कि तानाशाही बताया और यह भी साफ कर दिया कि वह, अमेरिका की तानाशाही नहीं चलने देंगे।
खामेनेई ने फिर कहा कि ईरान, परमाणु हथियार नहीं बनाना चाहता बल्कि सिर्फ परमाणु पावर विकसित करना है, जिसका इस्तेमाल देश के विकास के लिए किया जा सके। ईरानी सुप्रीम लीडर के अनुसार उनका देश शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा का अधिकार रखता है और इसलिए 60% तक यूरेनियम संवर्धन जारी रखेगा। खामेनेई ने कहा कि ईरान, अमेरिका या अन्य देशों के दबाव में झुकेगा नहीं।