Kim Putin Xi Alliance: किम जोंग उन, पुतिन और शी जिनपिंग की बीजिंग में बैठक ने अमेरिका के लिए नई सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर दी हैं।
Kim Putin Xi Alliance: बीजिंग में चीन की सैन्य परेड के बाद, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने महत्वपूर्ण बातचीत की। इस बैठक में दोनों देशों ने अपने बीच दीर्घकालिक सहयोग की योजना पर चर्चा की। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ आयोजित सैन्य परेड में किम जोंग उन और पुतिन ने पहली बार एक साथ सार्वजनिक रूप से हिस्सा लिया। यह समारोह द्वितीय विश्व युद्ध की 80वीं वर्षगांठ और जापान पर विजय का जश्न मनाने के लिए रखा गया था। तीनों नेताओं के एक साथ खड़े होने को कई विशेषज्ञ अमेरिका के खिलाफ उनकी एकजुटता मान रहे हैं।
उत्तर कोरिया की कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी के मुताबिक, किम और पुतिन ने अपने देशों के बीच मजबूत रिश्तों और सहयोग की बात की। पुतिन ने इसे 'विश्वास और मित्रता का विशेष रिश्ता' बताया और कहा कि रूस युद्ध में उत्तर कोरियाई सैनिकों के योगदान को याद रखेगा।
किम ने स्पष्ट किया कि उत्तर कोरिया रूस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण के लिए पूरी तरह खड़ा है। उन्होंने मास्को को मदद देना अपना 'भाईचारा का कर्तव्य' बताया। दोनों नेताओं ने विश्व और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी खुलकर विचार शेयर किए।
रूसी मीडिया के अनुसार, पुतिन ने किम को रूस आने का निमंत्रण भी दिया, लेकिन उत्तर कोरिया के सरकारी चैनल ने इस खबर को कवर नहीं किया।
यह बैठक ऐसे समय हुई है जब रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने पर काम हो रहा है। माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म हो सकता है।
रूस की तास समाचार एजेंसी ने बताया कि किम की पहल से उत्तर कोरियाई सैनिक यूक्रेन के कुर्स्क इलाके की लड़ाई में शामिल हुए हैं। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा ने भी पुष्टि की है कि पिछले साल अक्टूबर से लगभग 15,000 उत्तर कोरियाई सैनिक रूस की मदद के लिए भेजे गए हैं।
एनआईएस ने कहा है कि तीसरे बैच में लगभग 6,000 और सैनिक भेजे जा सकते हैं। इनमें लगभग 1,000 लड़ाकू इंजीनियर पहले ही रूस पहुंच चुके हैं। युद्ध में अब तक करीब 2,000 सैनिक मारे जा चुके हैं।
किम, पुतिन और शी की बढ़ती नजदीकियां विश्व राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत हो सकती हैं। यह गठजोड़ खासकर अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि इससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के संतुलन में बदलाव आ सकता है। इस तीन नेता की एकजुटता से अमेरिका की वैश्विक प्रभुत्व पर असर पड़ने की संभावना बढ़ गई है।
हमें आगे की घटनाओं पर नजर रखनी होगी कि ये तीनों देश किस प्रकार के सैन्य और राजनीतिक कदम उठाते हैं। खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति और उत्तर कोरिया की सैन्य तैनाती में क्या बदलाव आते हैं, यह महत्वपूर्ण होगा। साथ ही, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया भी इस गठजोड़ के भविष्य को तय करेगी।
इस गठजोड़ का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि यह उत्तर कोरिया की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। किम जोंग उन का रूस और चीन के साथ मिलकर सैन्य और राजनीतिक सहयोग बढ़ाना, उनके लिए एक रणनीतिक बढ़त है। साथ ही, यह चीन की भी कोशिश है कि वह अमेरिका के प्रभाव को चुनौती दे और एशिया में अपना दबदबा मजबूत करे।